By VIMLESH KUMAR 
PUBLISHED Sep 04, 2024

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आचार्य चाणक्य के अनुसार जिंदगी का सबसे बड़ा सुख क्या है?

आचार्य चाणक्य तमाम विषयों के ज्ञाता होने के साथ- साथ एक योग्य गुरु, मार्गदर्शक और रणनीतिकार भी थे।

आचार्य चाणक्य

उन्होंने अपनी चाणक्य नीति में मनुष्य को अपना जीवन सुख और शांति पूर्वक बिताने के लिए क्या प्रयास करने चाहिए और कैसा बर्ताव करना चाहिए इसके बारे में भी बताया है।

चाणक्य नीति में जिंदगी के नियम

आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में जिंदगी का सबसे बड़ा सुख क्या है, इसके बारे में बताया है।

सबसे बड़ा सुख क्या है?

आचार्य चाणक्य ने संतोष को जिंदगी का सबसे बड़ा सुख माना है।

संतोष

चाणक्य नीति में एक श्लोक आता है जिसकी पहली पंक्ति में यह लिखा है कि शांतितुल्यं तपो नास्ति, न संतोषात्परं सुखम।

शांति और संतोष

यानी आचार्य चाणक्य अपने इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि शांति के समान कोई तप नहीं है और संतोष से बढ़कर जीवन में कोई सुख नहीं है।

शांति और संतोष जरूरी

इस संसार में व्यक्ति कितना कुछ भी पा ले, लेकिन उसका मन कभी संतुष्ट नहीं होता।

संतुष्ट नहीं रहता व्यक्ति

सबकुछ होते हुए भी व्यक्ति किसी ना किसी चीज को पाने के लिए बहुत व्याकुल रहता है।

रहता है व्याकुल

 आचार्य चाणक्य मानते हैं कि मनुष्य की कामना और तृष्णा का कोई पार नहीं है। इसलिए जिस व्यक्ति के मन के अंदर संतोष है वह सबसे सुखी है।

इसलिए आचार्य चाणक्य मानते हैं संतोष को परम सुख

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