भारत में मौजूद 7 सोने की खदान, जिनके बारे में नहीं जानते होंगे आप
भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो हर साल 800 मीट्रिक टन आयात करता है। लेकिन भारत में भी विशाल खनिज संसाधन हैं।
सोने की खदानें
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, भारत में हजारों मीट्रिक टन सोने के भंडार हैं। आइए, 7 ऐसी सोने की खदानों के बारे में जानें, जिनके बारे में कम लोग जानते हैं।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल
कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) भारत की सबसे पुरानी और गहरी सोने की खदान है। 1880 में ब्रिटिश द्वारा शुरू की गई यह खदान 2001 तक चली और 800 टन सोना निकाला।
कोलार गोल्ड फील्ड्स (कर्नाटक)
कर्नाटक सरकार के स्वामित्व में, हुत्ती गोल्ड माइन्स रायचूर जिले में स्थित है। यह भारत की एकमात्र सक्रिय सोने की खदान है, जो सालाना 1.8 टन सोना उत्पादित करती है।
हुत्ती गोल्ड माइन्स (कर्नाटक)
2020 में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने 700 टन सोने का भंडार खोजा। यह सोन पहाड़ी, हार्डी, चुरली, परासी और बसारिया में फैला है।
सोनभद्र गोल्ड रिजर्व (उत्तर प्रदेश)
कर्नाटक में गोवा सीमा के पास गनजूर सोने की खदान डेक्कन गोल्ड माइन्स की है। इसे 2022 में 1.5 टन सालाना उत्पादन के लिए शुरू करने की योजना थी, लेकिन खनन लाइसेंस खारिज हो गया।
गनजूर गोल्ड माइन (कर्नाटक)
आंध्र प्रदेश में तेलंगाना सीमा के पास जोन्नागिरी खदान भी डेक्कन गोल्ड माइन्स की है। यह खदान आधुनिक तकनीक का उपयोग करती है।
जोन्नागिरी गोल्ड माइन (आंध्र प्रदेश)
केरल के वायनाड जिले में छोटे पैमाने पर सोने की खदानें हैं। यहां काफी लंबे समय से सोने की खोज होती रही है। हालांकि, यह बड़े पैमाने पर सक्रिय नहीं हैं।
वायनाड गोल्ड माइन (केरल)
झारखंड के भितरकनिका क्षेत्र में सोने के भंडार की खोज हुई है। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि यह क्षेत्र भविष्य में भारत के सोने के उत्पादन में योगदान दे सकता है।
भितरकनिका गोल्ड डिपॉजिट
भारत में सोने की खदानों का विशाल भंडार है, लेकिन इनका बहुत कम हिस्सा ही खोजा गया है। भविष्य में नई तकनीक और निवेश से ये खदानें देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती हैं।
अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
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