क्यों फरवरी में ही होने लगी अप्रैल-मई वाली गर्मी, किसानों के लिए खतरनाक है वेस्टर्न डिस्टरबेंस
- फरवरी के महीने में ही जिस तरह की शुष्क हवाओं और गर्मी का प्रभाव देखा जा रहा है वह रबी की फसलों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इसके पीछे कई वजहें हैं।

उत्तर भारत का मौसम इस बार आधी जनवरी के बाद से ही बदलने लगा। दिन में हो रही तेज धूप, तेज हवाओं ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। जानकारों का कहना है कि अगर फरवरी में ही अप्रैल-मई जैसी धूप होने लगी तो यह गेहूं और अन्य रबी की फसलों के लिए नुकसानदेह साबित होगी। बीते पांच दिनों से दिन में होने वाली गर्मी को लेकर किसानों के माथे पर पसीना आने लगा है। वहीं दिन और रात के तापमान में 17 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर देखा जा रहा है। जो गर्मी होली के बाद पड़ती थी वह फरवरी के शुरुआत से ही पड़ने लगी है। गुरुवार को लखनऊ का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। वहीं दिल्ली के सफदरजंग का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया।
उत्तर भारत में क्यों पड़ने लगी गर्मी
उत्तर भऱत में आम तौर पर फरवरी के पहले सप्ताह तक कोहरे का असर देखा जाता था। हालांकि इस बार मुश्किल से एक सप्ताह ही जमकर कोहरा पड़ा। इसके बाद मौसम साफ होने लगा। आसमान साफ होने की वजह से सूरज की सीधी किरणें धरती पर पड़ रही हैं। वहीं इतनी तेज धूप की वजह से हवा की आर्द्रता भी खत्म हो गई है।
दक्षिण भारत से आने वाली शुष्क हवाएं
एक के बाद एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस ने मौसम का खेल ही बिगाड़ कर रख दिया है। इसकी वजह से ही दक्षिण भारत से शुष्क हवाएं उत्तर भारत की ओर चल रही हैं। इसीलिए दिल्ली और आसपास के इलाकों में गर्मी का अहसास हो रहा है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस अकसर मौसम को बदल देता है। जो कि फसलों के लिए नुकसानदेह साबित होता है। यह असमय बारिश, ओलावृष्टि, अत्यधिक गर्मी के लिए भी जिम्मेदार होता है। ऐसे में किसानों को बड़ा नुकसान हो जाता है।
जनवरी में नहीं हुई बारिश
जनवरी के महीने पर आम तौर पर बारिश होती थी। हालांकि उत्तर भारत में इस बार जनवरी सूखी ही पड़ी रही। एक दो दिन कुछ जगहों पर केवल बूंदाबांदी हुई। ऐसे में धरती और आसमान दोनों जगह नमी खत्म हो गई। लोग कड़ाके की ठंड का इंतजार ही करते रहे और चिल्ला जाड़ा के दिन भी निकल गए। किसानों को बेसब्री से कोहरे और ठंड का इंतजार रहता है ताकि उनकी गेहूं, चना और सरसों की फसल अच्छी तैयार हो। जानकारों का कहना है कि शुष्क हवाओं की वजह से पछेती फसलों के दाने भी पतले पड़ सकते हैं।
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