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Hindi News वायरल न्यूज़600 ईमेल, 80 कॉल...रोचक है वर्ल्ड बैंक में जॉब पाने वाले 23 वर्षीय वत्सल नाहटा की जर्नी

600 ईमेल, 80 कॉल...रोचक है वर्ल्ड बैंक में जॉब पाने वाले 23 वर्षीय वत्सल नाहटा की जर्नी

कहते हैं कि अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहा तो वह मिलती जरूर है। इस बात को सच कर दिया है 23 साल के वत्सल नाहटा ने। येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने वाले वत्सल वर्ल्ड बैंक में ड्रीम जॉब के लिए लगे रहे।

600 ईमेल, 80 कॉल...रोचक है वर्ल्ड बैंक में जॉब पाने वाले 23 वर्षीय वत्सल नाहटा की जर्नी
Deepakलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीMon, 26 Sep 2022 04:50 PM

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कहते हैं कि अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहा तो वह मिलती जरूर है। इस बात को सच कर दिया है 23 साल के वत्सल नाहटा ने। येल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने वाले वत्सल वर्ल्ड बैंक में अपनी ड्रीम जॉब के लिए लगातार कोशिश करते रहे। आखिर 600 ईमेल और 80 फोन कॉल्स के बाद उन्हें यह जॉब मिल ही गई। नाहटा ने लिंक्डइन पर एक लंबी पोस्ट में अपनी इस यात्रा को बयां किया है। उनकी इस पोस्ट को 15000 से लोगों ने लाइक किया है और 100 से ज्यादा शेयरिंग मिली है। 

कोविड के दौर में शुरू हुआ संघर्ष
वत्सल की इस इंस्पायरिंग जर्नी की शुरुआत 2020 में कोविड-19 के दौरान शुरू हुई। तब वह येल यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने वाले थे। वत्सल बताते हैं कि तब कंपनियों ने लोगों को नौकरियों से निकालना शुरू कर दिया था। मेरे पास कोई नौकरी नहीं थी और दो महीने में मेरा ग्रेजुएशन कंप्लीट होने वाला था। उन्होंने लिखा है कि तब मेरे दिमाग में यही बात चल रही थी येल से पढ़ाई करने का क्या फायदा, जब मैं एक नौकरी तक नहीं पा सकता। इसी दौर में अपने पैरेंट्स के सवालों का जवाब देना भी मुश्किल हो रहा था। 

कर लिया था निश्चय
वत्सल ने आगे लिखा था कि मैंने ठान रखा था कि भारत लौटना कोई विकल्प नहीं है। इसके साथ ही यह भी निश्चय कर रखा था कि मेरा पहला पे-चेक डॉलर में ही होगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने नेटवर्किंग पर काम करना शुरू किया और जॉब अप्लीकेशन फॉर्म्स और जॉब पोर्टल्स को नजरअंदाज करने का रिस्क लेना शुरू किया। नाहटा बताते हैं कि इसके बाद अगले दो महीनों में 1500 कनेक्शन रिक्वेस्ट्स भेजीं। 600 ई-मेल लिखे और करीब 80 फोन कॉल किए। इसमें बड़ी संख्या में रिजेक्ट भी किया गया। 

रंग लाया संघर्ष
वत्सल बताते हैं कि आखिर उनका संघर्ष रंग लाया। लगातार कोशिश करने की उनकी रणनीति रंग लाई और उन्हें मई के पहले हफ्ते में चार नौकरियां ऑफर हुईं। इसमें से उन्होंने वर्ल्ड बैंक की नौकरी चुनरी। दिल्ली श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स ने इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट करने वाले वत्सल बताते हैं संघर्ष के इस दौर ने उन्हें कई चीजें सिखाईं। इसमें से एक थी नेटवर्किंग की पॉवर, किसी भी हालत में सर्वाइव करने का भरोसा और अपनी डिग्री की वैल्यू। 

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