अब वंदे भारत के खाने को लेकर बवाल, भाषा के बाद अब भोजन की पहचान पर सवाल; क्या बोले यूजर्स
- हिंदी भाषा थोपने का मामला शांत नहीं हुआ था कि अब खाने को थोपने की बात चर्चा में आ गई है। वंदे भारत में सफर कर रहे एक मलयालम लेखक वंदे भारत में सर्व किए गए खाने को लेकर सवाल उठा दिया है।

हिंदी भाषा थोपने को लेकर पहले से चल रही बहस के बीच अब खाने को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। मलयालम लेखक एम.एस. मधवन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तस्वीर साझा करते हुए यह सवाल उठाया कि क्या दक्षिण भारत की वंदे भारत ट्रेनों में क्षेत्रीय खाने को नजरअंदाज किया जा रहा है?
मधवन ने लिखा, “ये लोग भाषा थोपने की बात करते हैं, मगर भोजन थोपना नहीं दिखता क्या? ये स्नैक्स जो बेंगलुरु-कोयंबटूर वंदे भारत में सर्व किए जा रहे हैं, क्या ये दक्षिण भारतीय खाने का प्रतिनिधित्व करते हैं?” उनकी इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई। कई यूजर्स ने इस बात का समर्थन किया कि थोपने का मामला सिर्फ भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि खाने तक भी जा पहुंचा है।
क्या बोले यूजर्स
एक यूजर ने लिखा, “ये बात सच है, रेलवे का खाना वैसे भी किसी रीजन का हो, खराब ही होता है। लेकिन कम से कम रूट के हिसाब से तो खाना होना चाहिए।” वहीं दूसरे यूजर ने पलट कर कहा, “कश्मीर से कन्याकुमारी तक इडली मिलती है, कोई इसे थोपना नहीं कहता।” एक और यूजर का कहना था, “उत्तरी भारत के 99% रेस्टोरेंट में इडली-डोसा मिलती है, तो क्या ये खाने को थोपना नहीं है, सर?”
यह पूरा विवाद ऐसे समय पर उभरा है जब बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हिंदी भाषा को डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड्स से हटाए जाने को लेकर पहले ही जोरदार बहस हो रही थी। एक वायरल वीडियो में दावा किया गया कि अब वहां सिर्फ कन्नड़ और अंग्रेजी में सूचना दी जा रही है। एक यूज़र ने खुशी जताते हुए लिखा, “हिंदी हट गई है एयरपोर्ट से, अब सिर्फ कन्नड़ और अंग्रेजी यही है असली दो-भाषा नीति।”
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