पेजर न ताइवान में बने और न ही हंगरी में..दोनों कंपनियां साफ मुकर गई हैं...सवाल यह उठता है कि पेजर कहीं तो बने होंगे और लेबनान में जिस तरह एक साथ बैटरी गर्म करके पेजर में धमाके किए गए हैं उनमें धमाका खेज अशिया कहीं न कहीं तो लगाई गई होगी...कहा जाता है कि हिज्बुल्लाह इजरायली खुफिया एजेंसियों के बचते बचाते हुए अपने लड़ाकों के लिए तमाम गैजेट्स और दीगर साजो सामान बुलाता है...लेकिन इसमें भी सेंध लगी है..इसका मतलब ये हुआ कि कोई न कोई गद्दार तो है..जिसने हिजबुल्लाह के साथ खेल कर दिया..इल्जाम लग रहा है कि इस हरकत में इजरायल की खुफिया एजेंसियों का हाथ है..लेकिन ताइवान नहीं हंगरी नही तो कहां मोसाद ने 3 हजार से ज्यादा पेजर पर एक्सप्लोसिव लगाए और हिजबुल्लाह का हिमायती ईरान और उसकी खुफिया एजेंसियां क्या करती रहीं..कुछ मीडिया रिपोर्टस में कहा तो ये भी जा रहा है कि हंगरी की कंपनी इजरायल ने ही बनाई थी..और सिर्फ इसी काम के लिए बाकायदा बीएसी कंसल्टिंग कंपनी बनाकर ताइवानी कंपनी से करार किया..और खतरनाक पेजर बनाकर लेबनान भेज...
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