ढाका की सड़कों पर लोग खुश हैं कि उन्होने एक तानाशाह सत्ता को उखाड़ फेंका लेकिन इस आंदोलन ने अपने आखिरी दिन लक्ष्य पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया..आप कहेंगे बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का तख्ता तो पलट गया..तहरीक कामयाब हो गई..फिर कैसे आंदोलन असफल रहा...शेख हसीना ने ढाका की सड़कों पर छात्रों और अवाम की ताकत को भांपकर इस्तीफा दे दिया..यहां तक की देश से भी चली गईं..लेकिन उसके बाद जिस तरह से आवारा भीड़ का तांडव देखने को मिला उसने बांग्लादेश के इस आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन की गरिमा को तार तार कर दिया...उन्मादी भीड़ बन चुके लोग अगर छात्र हैं तो वाकई ये लेसन है दुनिया के लिए कि क्रांति करने वाली जनता कब लफंगी भीड़ बन जाए कह नहीं...
विनेश के बहाने सीएम भगवंत मान ने किसे सुनाया