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आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था पूर्ववत रखने की मांग

अनुसुचित जाति, जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने को सरकार की वर्णवादी व्यवस्था लागू करना करार दिया...

आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था पूर्ववत रखने की मांग
हिन्दुस्तान टीम,विकासनगरTue, 26 May 2020 04:09 PM
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अनुसुचित जाति, जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने को सरकार की वर्णवादी व्यवस्था लागू करना करार दिया है। एसोसिएशन की ओर मीडिया को जारी बयान में कहा गया है कि संविधान के तहत आरक्षण जातिवादी व्यवस्था है। जब तक जातियां हैं तब तक यह संवैधानिक व्यवस्था भी रहनी चाहिए। लिहाजा आरक्षण समाप्त करने से पहले समाज से जातियां समाप्त की जानी चाहिए।एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री जितेंद्र सिंह बुटोइया ने कहा कि सीधी भर्ती रोस्टर पर सरकार ने वादा खिलाफी की है। सरकार ने एक अगस्त 2001 के पूर्व के रोस्टर को बहाल करने का वादा किया था, लेकिन अब नया रोस्टर जारी कर दिया गया है। नया रोस्टर जारी करने के बाद भी ओबीसी, सामान्य इंप्लॉइज संगठन हड़ताल की धमकी दे रहे हैं। बावजूद इसके सरकार मौन साधे हुए है। कहा कि सामान्य कर्मचारी संगठनों की ओर से सिर्फ पदोन्नति, नियुक्ति और शैक्षिक आरक्षण का ही विरोध किया जा रहा है, जो कि एससी, एसटी वर्ग को वास्तविक मानवतावादी समानता के अवसरों से दूर रखने की साजिश है। कहा कि चतुर्थ श्रेणी और सफाई कर्मचारियों के पद आउट सोर्सिंग को देना यह साबित करता है कि आज भी सरकार वर्णवादी व्यवस्था चालाना चाहती है। आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है। बल्कि जाति के आधार पर सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने की व्यवस्था है। लिहाजा आरक्षण समाप्त करने से पहले सामाजिक भेदभाव समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि आरक्षण व्यवस्था के संबंध में इरशाद आयोग की सिफारिशें भी सार्वजनिक की जानी चाहिए।

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