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बारिश से मैदानी फसलों को नुकसान, पर्वतीय किसानों की बल्ले-बल्ले

जनवरी माह के अंतिम दिनों में हो रही बारिश और बर्फवारी का इन दिनों खेतों में उगाई जा रही फसलों पर मिला जुला प्रभाव...

बारिश से मैदानी फसलों को नुकसान, पर्वतीय किसानों की बल्ले-बल्ले
हिन्दुस्तान टीम,विकासनगरWed, 29 Jan 2020 05:55 PM
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जनवरी माह के अंतिम दिनों में हो रही बारिश और बर्फबारी का फसलों पर मिलाजुला प्रभाव पड़ेगा। कृषि वैज्ञानिक बारिश और बर्फबारी को जहां पर्वतीय क्षेत्रों की असिंचित खेती के लिए संजीवनी मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मैदानी क्षेत्रों की फसलों को नुकसान होने की बात कह रहे हैं। पछुवादून और जौनसार-बावर परगने में मौसम का सर्द मिजाज अभी जारी है। मंगलवार सुबह से ही पछुवादून के मैदानी क्षेत्रों में बारिश शुरू हो गई थी, जबकि जौनसार-बावर के पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश के साथ ही बर्फबारी भी हुई। मौसम के इस मिजाज से जहां पर्वतीय क्षेत्रों के काश्तकारों के चेहरे खिले हुए हैं। वहीं, पछुवादून के मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की फसल पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका किसानों को सता रही है। कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के कृषि वैज्ञानिक डा. संजय कुमार ने बताया कि जनवरी माह के अंतिम दिनों में हो रही बारिश असिंचित खेती में उगी गेहूं, मटर, चना, सरसों की खेती के लिए संजीवनी साबित हुई है। लंबे समय तक खेतों में नमी रहने से फसलों को पर्याप्त पानी मिलेगा, वहीं बारिश के पानी में कुछ खाद भी मौजूद होती है, जिससे उत्पादन बढ़ेगा। बताया कि मैदानी क्षेत्रों में ज्यादा बारिश से खेती पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। एक या दो दिन में दोबारा बारिश होने पर गेहूं की पौध में पीलापन आना शुरू हो जाएगा, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आएगी। खेतों में नमी अधिक होने से फसल खराब होने लग गई है। इसके साथ ही राजमा और गन्ने की बुआई भी पछैती हो गई है। बारिश के कारण गन्ने के लिए खेत तैयार नहीं हो पा रहे हैं। बताया कि राजमा की बुआई आम तौर पर पचीस जनवरी के आसपास शुरू हो जाती है। बुआई पछैती होने के कारण फसल देरी से पकेगी।

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