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आसन बैराज झील में बढता जा रहा है विदेशी परिंदों का कुनवा

झील में तैरती, डुबकी लगाती तो कभी झील के ऊपर उड़ान भरते विदेशी परिंदे बने...

आसन बैराज झील में बढता जा रहा है विदेशी परिंदों का कुनवा
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,विकासनगरThu, 05 Nov 2020 04:50 PM
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ठंड बढ़ने के साथ ही आसन बैराज झील में विदेशी परिंदों का कुनबा बढ़ने लगा है। अब तक यहां विभिन्न प्रजातियों के करीब ढाई हजार विदेशी परिंदे डेरा डाल चुके हैं। जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष बड़ी संख्या में परिंदों के पहुंचने की संभावना है।

आसन बैराज की झील में हर वर्ष अक्टूबर माह में विदेशी परिंदे आने शुरु होते हैं। ये परिंदे छह माह से अधिक समय तक आसन बैराज झील में डेरा डाले रहते हैं। इस दौरान ये विदेशी परिंदे पक्षी प्रेमियों व पर्यटकों को लिए खास आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। लोग आसन बैराज की झील में पैडल वोटिंग के साथ करीब से पक्षियों को निहारते हैं। इस बार अक्टूबर माह के पहले ही सप्ताह में विदेशी परिंदों ने आसन बैराज झील में डेरा डालना शुरु कर दिया था। नवंबर के पहले सप्ताह के दूसरे दिन तक करीब 26 प्रजातियों साईबेरियन पक्षी सुर्खाव सहित विभिन्न देशों से आए ढाई हजार पक्षी डेरा डाल चुके हैं। पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सैना ने बताया कि पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी होना अच्छे संकेत हैं। उन्होंने कहा जिस तरह इस बार ठंड अधिक बढ़ती जा रही है उस हिसाब से इस बार सात हजार से भी अधिक पक्षियों के आने की संभावना है। बताया कि अभी पंद्रह से बीस और प्रजातियों के पक्षियों के आने की उम्मीद है।

अभी तक पहुंचे हैं इन प्रजातियों के पक्षी

जिनमें सुर्खाव, सपोट बिल्ड डक, कॉमन कॉर्मोनेट, किंग फिशर, हाइट ब्रस्टेड वाटर हेन, इंडियन कॉर्मेट, रेड नेप्ड इविस, कॉम्बडक, गेडवाल, कॉमनटील, पेड किंग फिशर, रेड स्नेक, ग्रीन स्नेक, ब्लैकविंग स्टील्ट, ग्रेलेग गूस, नॉर्दन सोवलर, कॉम्बडक, कॉमन कूट, कॉमन पोचार्ड, कॉमन टील, ग्रेट कॉर्मोरेंट, रेड नेप्ड इबिस आदि शामिल हैं। ये पक्षी साईबेरिया, चीन, कजाकिस्तान, लेह लद्दाख, नेपाल, साउथ एशिया, भूटान आदि देशों से आते हैं। ये पक्षी मार्च के अंत में अपने देशों के लिए उड़ान भरते हैं।

वन विभाग ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की

दिन रात लगातार वनकर्मी गश्त कर रहे हैं। वन कर्मियों के अतिरिक्त रामपुर मंडी में प्रशिक्षुओं को भी समय समय पर गश्त कराई जाती है। जिससे पक्षियों के बारे में जानकारी हासिल करने के साथ साथ प्रशिक्षु पक्षियों की भी सुरक्षा पुख्ता करते हैं।

डीसी आर्य, डीएफओ चकराता वन प्रभाग

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