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ऐसे कैसे महिलाओं को मिलेगा इंसाफ,छह हजार मामलों में ट्रायल का इंतजार  

महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के 95 फीसदी से अधिक मामलों में आरोपी दोष साबित न होने के कारण दोषमुक्त हुए हैं। इसके अलावा प्रदेश में महिला अपराध से जुड़े 6 हजार 836 मामलों का कोर्ट में ट्रायल तक...

ऐसे कैसे महिलाओं को मिलेगा इंसाफ,छह हजार मामलों में ट्रायल का इंतजार  
Himanshu Kumar Lallहिन्दुस्तान टीम, नैनीताल। दीपक पुरोहित Fri, 17 Sep 2021 11:21 AM

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महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के 95 फीसदी से अधिक मामलों में आरोपी दोष साबित न होने के कारण दोषमुक्त हुए हैं। इसके अलावा प्रदेश में महिला अपराध से जुड़े 6 हजार 836 मामलों का कोर्ट में ट्रायल तक शुरू नहीं हो पाया है। कोविड के कारण इसमें और ज्यादा देरी हो रही है। यहां तक कि कुल वारदातों में महिला अपराध का हिस्सा 51.6 फीसदी रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट में महिला अपराध से जुड़े तथ्य बताते हैं कि महिला सुरक्षा अब भी भाषणों तक ही सीमित है।

रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में बीते साल महिलाओं पर हुए अपराध के दो हजार 846 मामले दर्ज हुए। जिसमें दो हजार 90 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दो हजार 656 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए गए। इनमें मात्र 114 पर ही आरोप सिद्ध हो पाए। पुलिस 466 मामलों में सबूत और गवाह नहीं जुटा पाई है। 25 मामलों में जांच के बीच में ही समझौता हुआ। हालांकि, दुष्कर्म के पुराने मामलों में पुलिस 480 लोगों को सजा दिलाने में सफल रही।  

महिला अपराध के ये हैं आंकड़े
अपराध    संख्या
पति द्वारा क्रूरता    669
एसिड अटैक    01
अपहरण    810
शादी को अपहरण    64
दुष्कर्म    487
दहेज उत्पीड़न    140
नाबालिग से दुष्कर्म    396
यौन दुर्व्यवहार    157

बाल अपराध के ये हैं आंकड़े
अपराध    संख्या
मर्डर    08
अपहरण    365
गुमशुदा    209
भीख मंगवाना    14
शादी के लिए अगवा    47
बाल तस्करी    05
पॉक्सो एक्ट    574
नाबालिंग दुष्कर्म    157
बाल मजदूरी    41
साइबर क्राइम    11

नाबालिगों संग दुष्कर्म की घटनाएं सबसे ज्यादा 
कोविड के बीच बाल अपराध में कमी दर्ज हुई है। चिंता की बात यह है कि प्रदेश में पॉक्सो एक्ट के सबसे ज्यादा 574 मामले दर्ज हुए हैं। जिसमें से 157 मामले नाबालिग से दुष्कर्म के हैं। बाकी मामले यौन दुर्व्यवहार और यौन हिंसा के हैं। इसके अलावा बच्चों के अपहरण एवं घर से भागने के मामले भी अधिक हैं। 

महिला एवं बाल अपराध को लेकर पुलिस ज्यादा तेजी से काम कर रही है। इस तरह के मामलों में आरोपियों को सजा दिलाने का प्रतिशत अच्छा है। कोविड के कारण केस पंजीकरण, जांच, चार्जशीट और ट्रायल प्रभावित हुआ है। जनता और पुलिस के बीच कम्यूनिकेशन गैप कम हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं।
नीलेश आनंद भरणे, डीआईजी कुमाऊं रेंज

बच्चों की सुरक्षा के साथ उन्हें सही जानकारी देना आज के जमाने में अभिभावकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। अभिभावक उनके दोस्त बनें और उन्हें अच्छे, बुरे का फर्क समझांए। बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें और उनसे रोजाना बात करें। माता-पिता सजग रहेंगे तो बाल अपराध को काफी कम किया जा सकता है। 
युवराज पंत, बाल मनोवैज्ञानिक 

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