आचार संहिता से पहले ‘बैकडोर’ भर्तियों का खेल शुरू, विधानसभा में कई पदों पर निकाली भर्ती
उत्तराखंड में चुनाव की आचार संहिता से पहले विधानसभा में फिर बैकडोर भर्तियों की तैयारी है। सरकार ने विधानसभा के लिए 69 पद सृजित करने की अनुमति दे दी है। सूत्रों ने बताया कि विधानसभा ने...

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उत्तराखंड में चुनाव की आचार संहिता से पहले विधानसभा में फिर बैकडोर भर्तियों की तैयारी है। सरकार ने विधानसभा के लिए 69 पद सृजित करने की अनुमति दे दी है। सूत्रों ने बताया कि विधानसभा ने सरकार को पद सृजित करने का प्रस्ताव भेजा था। सरकार ने 24 दिसंबर, 2021 को 69 पद भरने को मंजूरी दे दी। इनमें समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, कंप्यूटर आपरेटर, अपर निजी सचिव, लेखा परीक्षक आदि संवर्ग हैं।
त्रिवेंद्र रावत सरकार के दौरान विधानसभा को यह पद भरने की अनुमति नहीं मिल पाई थी। इस बाबत विधानसभा के प्रभारी सचिव मुकेश सिंघल से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। विस ने 32 पदों के लिए अक्तूबर, 21 में विज्ञप्ति जारी की थी। बताया जा रहा है कि एक एजेंसी के मार्फत यह भर्तियां की जा रही हैं, लेकिन यह कौन सी एजेंसी है, इसके बारे में कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है।
नए सृजित पदों पर भर्ती को लेकर बातचीत चल रही है। पूर्व में जो पद मंजूर हुए थे, उनकी परीक्षा की तिथि मोटे तौर पर दो जनवरी को कराने पर विचार हुआ था, लेकिन सभी अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र नहीं पहुंच पाए। नौ जनवरी को लोक सेवा आयोग की परीक्षा के चलते केंद्र उपलब्ध नहीं हैं। अब अधीनस्थ चयन आयोग से स्टाफ उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा गया है।
प्रेमचंद अग्रवाल, विधानसभा अध्यक्ष
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने की थीं 158 भर्तियां
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने 2016 में चुनाव आचार संहिता से ऐन पहले 158 पदों पर ‘बैकडोर’ से भर्तियां की थीं। तब भाजपा नेताओं ने इन नियुक्तियों पर सवाल उठाए थे और चुनाव में भी इसे मुद्दा बनाया था। इन नियुक्तियों में लेनदेन के आरोप भी लगे थे। हालांकि,पहले इसे लेकर शोर-शराबा करने वाली भाजपा ने सरकार बनने के बाद इसकी जांच तक नहीं कराई। उल्टा अब खुद उसी तरह तरह से भर्तियां कर रही है।
महज 10 से 12 दिन चलता है सत्र: विधानसभा का सत्र साल भर में आमतौर दो बार ही चलता है। इसमें भी ज्यादा दिन सदन हंगामे की भेंट चढ़ता रहा है और मुश्किल से 10-12 दिन ही सदन चलता है। सत्र को छोड़ दें तो ज्यादातर वक्त तक उक्त कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं रहता। सूत्रों के अनुसार, विधानसभा में जब से उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक व्यवस्था हुई है तब से काफी स्टाफ तो सुबह और शाम को सिर्फ हाजिरी लगाने के लिए ही आता है।
हरीश ने उठाए सवाल: धारचूला के कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने इन भर्तियों पर सवाल उठाए हैं। धामी ने कहा कि सरकार ने पहले भर्तियों के लिए विज्ञप्ति निकाली और अब लिखित परीक्षा न कराकर इन पदों को बैकडोर से भर रही है। उन्होंने सरकार पर बेरोजगारों के सपने तोड़ने व भर्तियों में करोड़ों के लेनदेन का आरोप लगाया है। धामी ने चेताया है कि सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों पर कार्रवाई नहीं को तो वे खुद ऐसे अफसरों के नाम सार्वजनिक करेंगे।
महज हाजिरी लगाने को आ रहे तमामकर्मचारी
विधानसभा में वर्तमान में 400 से ज्यादा ऐसे कर्मचारी हैं, जिनका वेतन कोषागार के जरिए निकलता है। देहरादून व गैरसैंण में विधानसभा के नाम पर बैकडोर से भर्तियां तो कर दी जाती हैं, लेकिन इसका वित्तीय बोझ किस पर पड़ रहा है, इसकी चिंता कभी किसी सरकार ने नहीं की। राज्य की वित्तीय स्थिति वैसे ही खराब है। विकास योजनाओं के बजट के लिए जहां राज्य सरकार केंद्र का मंुह ताकती है वहीं, अनाप-शनाप खर्चों में कटौती करने के लिए कभी किसी ने कदम उठाने की कोशिश नहीं की।