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Silkyara Tunnel Rescue: टनल के अंदर 16 दिन नहीं थे आसान, मजदूरों के मसीहा बने 'गब्बर'; देते रहे उम्मीद

उत्तकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। मजदूर जब आशा और निराशा के बीच झूल रहे थए तब उन्हें संभालने का काम कोटद्वार के रहने वाले गब्बर सिंह नेगी ने किया था।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, उत्तरकाशीWed, 29 Nov 2023 07:51 AM
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Silkyara Tunnel Rescue: टनल के अंदर 16 दिन नहीं थे आसान, मजदूरों के मसीहा बने 'गब्बर'; देते रहे उम्मीद

17 दिन के घने अंधेरे से जीतकर 41 मजदूर सिलक्यारा सुरंग से बाहर निकल आए हैं। इस दौरान उनका एक-एक पल आशा और निराशा के बीच झूलता हुआ बीता। ऐसे मौके पर कोटद्वार निवासी गब्बर सिंह नेगी साथी मजदूरों के लिए सबसे बड़ा मानसिक सहारा बनकर उभरे। बचाव अभियान के दौरान सीएम से लेकर अधिकारियों तक ने गब्बर सिंह के जरिए ही श्रमिकों से संपर्क बनाए रखा। अधिकारियों ने गब्बर सिंह की नेचुरल लीडरशिप की भी जमकर तारीफ की।

गब्बर सिंह साइट पर बतौर फोरमैन काम कर रहे थे, जो हादसे से कुछ देर पहले ही सुरंग के अंदर गए थे। मलबा उनके बेहद करीब गिरा था, जिस कारण उनके कुछ साथी तो बाहर निकल कर चले गए, लेकिन गब्बर सिंह फंस गए। ऐसे कठिन हालात में गब्बर सिंह ने घबराने के बजाय अन्य फंसे श्रमिकों को एकत्रित कर हादसे की जानकारी दी। इसके बाद गब्बर सिंह ने ही वॉकी-टॉकी से बाहर बात कर हादसे की सूचना दी। बचाव अभियान के दौरान मजदूरों ने अपने परिजनों से गब्बर सिंह की खूब तारीफ की। 

मजदूरों ने बताया कि जैसे-जैसे समय बीतने के साथ वो मायूस होने लगे, गब्बर सिंह ही सबको ढांढस बंधाते रहे। इस दौरान वो सभी का नेतृत्व करते रहे। बाहर बचाव टीम के साथ भी गब्बर सिंह ही संपर्क बनाए हुए हैं। मजदूर सबा अहमद के भाई नैयर अहमद ने बताया कि गबर सिंह सरल स्वभाव के साथ अनुभवी व्यक्ति हैं। उनका व्यवहार सभी मजदूरों को हौसला देता रहा। इससे पूर्व वह जवाहर सुरंग के निर्माण में भी सेवा दे चुके हैं।

12 नवंबर को दिवाली के दिन फंसे थे 

12 नवंबर को दिवाली के त्योहार की सुबह पांच बजे के करीब भूस्खलन की वजह से 41 मजदूर सुरंग के भीतर फंस गए थे। तब से उन्हें बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चल रहा था। कई श्रमिकों के परिजन भी सिलक्यारा पहुंच गए थे। पीएमओ लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन पर निगाह बनाए हुए था। पीएमओ के अधिकारियों की टीम पिछले कई दिनों से यहां कैंप किए हुए थी।

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