मिनिस्टीरियल सर्विसेज ने तबादला एक्ट निरस्त करने की मांग उठाई, जानें वजह
उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने तबादला एक्ट को पारदर्शी तरीके से लागू करने की मांग की। साफ किया कि यदि सरकार एक्ट को लागू नहीं करवा सकती, तो इसे तत्काल निरस्त किया जाए।...
उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने तबादला एक्ट को पारदर्शी तरीके से लागू करने की मांग की। साफ किया कि यदि सरकार एक्ट को लागू नहीं करवा सकती, तो इसे तत्काल निरस्त किया जाए।
पारदर्शी व्यवस्था लागू न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी। अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी ने कहा कि तीन साल बाद भी अभी तक तबादला एक्ट पूरी तरह लागू ही नहीं हो पाया।
2018 और 2019 में सिर्फ 10 प्रतिशत तबादले ही हो पाए। 2020 में तबादला सत्र शून्य हो गया है। ऐसे में इस एक्ट का कोई अर्थ नहीं रह गया है।
महामंत्री पूर्णानंद नोटियाल ने कहा कि एक्ट में साफ किया गया है कि 30 जून 2020 तक के समय को संक्रमण काल माना गया है। इस समय मे जिस कर्मचारी का समय दुर्गम में नहीं गुजरा है, उसकी पहली और दूसरी पदोन्नति पर विचार न किये जाने का प्रावधान है।
ऊपर से तबादले नहीं हो रहे हैं। ऐसे में दुर्गम की सेवा अवधि कैसे पूरी होगी। इस आधार पर पदोन्नति रोकना, मौलिक अधिकारों का हनन है।
ये सारी विषंगति शासन ने पैदा की हैं। पहली नियुक्ति और पदोन्नति पर पहाड़ में तैनाती के मानक के कारण मैदान में पद खाली हैं। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है।
सरकार दुगर्म में संक्रमणकाल का समय 30 जून 2020 से बढ़ा कर 30 जून 2023 तक बढ़ाए। सुगम के कार्यालय में काम को स्वीकृत पदों के सापेक्ष न्यूनतम 40 प्रतिशत कर्मचारियों को हर कार्यालय में यथावत रखा जाए।