दिल्ली रूट की उत्तराखंड की 400 बसों में लगेगी CNG किट, ये होगा फायदा
उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) सीएनजी बसों के संचालन के लिए योजना तैयार कर रहा है। पहले चरण में दिल्ली रूट की 400 बसों को एक से डेढ़ साल के भीतर सीएनजी में बदला जाएगा। इसका प्रस्ताव जल्द की निगम की...
उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) सीएनजी बसों के संचालन के लिए योजना तैयार कर रहा है। पहले चरण में दिल्ली रूट की 400 बसों को एक से डेढ़ साल के भीतर सीएनजी में बदला जाएगा। इसका प्रस्ताव जल्द की निगम की बोर्ड बैठक आएगा। बसों के सीएनजी में कंवर्ट होने से सालाना करीब 40 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके साथ ही प्रदूषण भी कम होगा। रोडवेज के पास 1300 से अधिक बसों का बेड़ा है।
इसमें 60 फीसदी बसों का संचालन दिल्ली रूट पर होता है। दिल्ली रूट पर चलने वाली बसों से अच्छी कमाई भी है। रोडवेज ने दिल्ली रूट पर सीएनजी बसों का संचालन भी शुरू कर दिया। प्रदेशभर के डिपो से 11 बसें चल रही हैं। निगम के लिए यह बसें संजीवनी बनने लगी हैं। देहरादून से दिल्ली आना और जाना 500 किलोमीटर है। डीजल की बसों की अपेक्षा एक चक्कर में करीब तीन हजार रुपये की बचत हो रही है।
हर साल 225 करोड़ के डीजल की खपत
रोडवेज के महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन के अनुसार, डीजल की अपेक्षा सीएनजी बसों से एक किलोमीटर पर छह रुपये की बचत हो रही है। डीजल की बसें पांच किमी प्रति लीटर चल रही हैं, जबकि सीएनजी बसें पौने छह किमी प्रति लीटर का एवरेज दे रही है। देहरादून में डीजल की मौजूदा कीमत लगभग 72 रुपये प्रतिलीटर के आसपास चल रही है। जबकि दिल्ली में सीएनजी के रेट 42 रुपये प्रति लीटर के आसपास हैं। यदि हम 400 बसें को सीएनजी में बदल देते हैं तो सालाना 40 करोड़ की बचत होगी। अभी हमारा सालाना 225 करोड़ रुपये डीजल पर खर्चा आ रहा है, जो सबसे ज्यादा खर्चा है।
ट्रांसपोर्टनगर में लग रहा सीएनजी पंप
रोडवेज की बसों में अभी दिल्ली से सीएनजी भरवाई जा रही है, लेकिन अगले छह माह में देहरादून में सीएनजी के बड़े पंप आने की उम्मीद है। इसके साथ ही रोडवेज की ट्रांसपोर्टनगर कार्यशाला में भी सीएनजी पंप लगाया जा रहा है।
दिल्ली रूट पर इसलिए भी जरूरी हैं सीएनजी बसें
दिल्ली में सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देने की तैयारी चल रही है। वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। ऐसे में रोडवेज अफसरों को आशंका है यदि दिल्ली सरकार ने डीजल वाहन बंद किए तो संकट खड़ा हो जाएगा। क्योंकि उत्तराखंड रोडवेज की बसों का 60 फीसदी संचालन दिल्ली में है। रोडवेज ने संकट से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है।
रोडवेज आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अब हमारा फोकस इनकम बढ़ाने पर है। कर्मचारियों से भी कहा गया कि हड़ताल के बजाय इनकम बढ़ाने पर ध्यान दें। इनकम बढ़ेगी तो रोडवेज के साथ कर्मचारियों का भी भला होगा। हड़ताल से बेवजह समय खराब हो रहा है। 400 बसों को सीएनजी में बदलने की योजना पर काम चल रहा है। बोर्ड की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा।
रणवीर चौहान, प्रबंध निदेशक परिवहन निगम