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पहाड़ो पर इस बार होगी अच्छी बर्फबारी,सेब में आएगी मिठास तो बुग्याल होंगे रिचार्ज

पहाड़ों पर इस बार अच्छी बर्फबारी होने की संभावना है। नवंबर पहले सप्ताह हुए हिमपात ने वैज्ञानिकों के आकलन पर कुछ हद तक मुहर लगा दी है। मौसम विज्ञान केंद्र और वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के...

पहाड़ो पर इस बार होगी अच्छी बर्फबारी,सेब में आएगी मिठास तो बुग्याल होंगे रिचार्ज
लाइव हिन्दुस्तान, देहरादून | मनमीतSat, 10 Nov 2018 12:43 PM
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पहाड़ों पर इस बार अच्छी बर्फबारी होने की संभावना है। नवंबर पहले सप्ताह हुए हिमपात ने वैज्ञानिकों के आकलन पर कुछ हद तक मुहर लगा दी है। मौसम विज्ञान केंद्र और वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, नवंबर पहले सप्ताह से ही न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कम चल रहा है। सेब बागवानों के साथ ही पर्यटन कारोबार के लिए आने वाला सीजन अच्छा रहेगा। ज्यादा बर्फबारी से जलस्रोत भी बेहतर तरीके से रिचार्ज हो सकेंगे। इस बार पिछले सालों से ज्यादा सर्दी पड़ सकती है। एक दशक बाद नवंबर के पहले सप्ताह में समुद्र सतह से 2200 मीटर के आसपास की ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर हिमपात हुआ। जबकि तीन से चार हजार मीटर की ऊंचाई पर कई दौर का हिमपात हो चुका है। अमूमन, राज्य में दिसंबर आखिरी सप्ताह या जनवरी में 2200 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों में हिमपात हुआ करता है। लेकिन इस बार नवंबर पहले सप्ताह में मैदानों में हुई बारिश और 2200 मीटर से ऊपर हिमपात होने से वैज्ञानिकों को नई उम्मीद जगी है। मौसम केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह बताते हैं, मानसून इस बार उत्तराखंड में अच्छा रहा। मानसून के बाद से ही ऊंचाई वाले स्थानों के साथ ही मैदानी इलाकों में तापमान में न्यूनतम दो से तीन डिग्री तक की गिरावट आ गई थी। नवंबर पहले सप्ताह में जो बारिश और हिमपात हुआ है, ये सेब बागवानों के लिए काफी फायदेमंद होगा।

सेब में आएगी मिठास
अच्छी बारिश होने से राज्य में सेब की दो प्रजातियां ‘रेड डिलिसियस’ और ‘गोल्डन डिलिसियस’ को नई जिंदगी मिलेगी। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सेब की ये दो प्रजातियां ‘चिलिंग टाइम’ नहीं मिलने से खत्म होती जा रही हैं। इस बार अगर इन्हें चिलिंग टाइम अच्छा मिल गया तो फिर से एक नई उम्मीद जग सकती है। 

बुग्याल हुए रिचार्ज
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ ग्लेशियर वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने पिछले दिनों केदारनाथ और उससे ऊंचाई वाले स्थानों पर शोध कार्य किया। उन्होंने बताया कि इस बार बुग्यालों (हिमालय क्षेत्र में हरे घास के मैदान) में मानसून में तेज बारिश नहीं हुई है, बल्कि हल्की रिमझिम बारिश हुई है। इससे हिमालय के इस क्षेत्र में न तो भूस्खलन हुआ है और न ही अन्य कोई नुकसान। बल्कि रिमझिम बारिश से बुग्याल पूरी तरह से रिचार्ज हो गये हैं। 

 

 

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