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कोरोना इफेक्ट:रोडवेज के बैंक खाते सीज होने की आ गई नौबत

कोरोना काल में उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) के हालात खराब हो गए हैं। अब निगम न्यायालयों के आदेशों का पालन भी नहीं कर पा रहा है। न्यायालय सड़क दुर्घटना और रिटायर कर्मचारियों के देयकों के 60 से अधिक...

कोरोना इफेक्ट:रोडवेज के बैंक खाते सीज होने की आ गई नौबत
हिन्दुस्तान टीम,देहरादून। रविन्द्र थलवाल Thu, 10 Sep 2020 12:39 PM
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कोरोना काल में उत्तराखंड परिवहन निगम (रोडवेज) के हालात खराब हो गए हैं। अब निगम न्यायालयों के आदेशों का पालन भी नहीं कर पा रहा है। न्यायालय सड़क दुर्घटना और रिटायर कर्मचारियों के देयकों के 60 से अधिक मामलों में क्लेम भुगतान के आदेश कर चुका है। क्लेम देने के लिए रोडवेज को जो समय मिला है, अधिकांश मामलों में समय भी पूरा हो चुका है, लेकिन निगम बजट के अभाव में भुगतान नहीं कर पा रहा है।

ऐसे में यदि कोई दोबारा न्यायालय में अपील करता है तो निगम के बैंक खाते सीज और संपत्ति कुर्की होने की नौबत आ सकती है। रोडवेज की बस दुर्घटना में मृतक के परिजन और घायलों को मुआवजा देने का प्रावधान है। अधिकांश लोग निगम की ओर से दी जाने वाली मुआवजा राशि से संतुष्ट नहीं होते हैं और न्यायालय की शरण में जाते हैं।

इसके अलावा निगम रिटायर कर्मचारियों को भी उनकी ग्रेच्युटी और नकदीकरण का भुगतान नहीं कर पा रहा है। ऐसे कर्मचारी भी कोर्ट चले जाते हैं। इसी तरह के 60 से अधिक मामलों में अलग-अलग न्यायालय जनवरी माह से लेकर अब तक चार करोड़ रुपये क्लेम भुगतान के आदेश चुके हैं। इसमें ढाई करोड़ के करीब न्यायालयों में जमा किया जाना है। जबकि कुछ मामलों में सीधे पीड़ित व्यक्ति या रिटायर कर्मचारी को दिया जाना है, लेकिन बजट के अभाव में रोडवेज भुगतान नहीं कर पा रहा है।

संकट के दौर से गुजर रहा रोडवेज 
रोडवेज संकट के दौर से गुजर रहा है। कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिल पाया। रिटायर कर्मचारी खाली हाथ घर जा रहे हैं। उनको ग्रेच्युटी और नकदीकरण का पैसा नहीं मिल रहा है। प्रबंधन के पास आय का कोई स्रोत नहीं है। कोरोना संकट के चलते 200 बसों का संचालन रोजाना हो पा रहा है। इससे 15 से 30 लाख रुपये प्रतिदिन की आय हो रही है। इससे सिर्फ डीजल का खर्च निकल पा रहा है। रोडवेज को खर्चे पूरा करने के लिए रोजाना करीब एक करोड़ 70 लाख रुपये की आय चाहिए। 


हमारे पास वेतन देने के लिए तक पैसा नहीं है। बजट के अभाव में कोर्ट के आदेशों का भी पालन नहीं हो पा रहा है। क्लेम भुगतान को लेकर यदि हमें कोर्ट पूछता तो हम कोर्ट के समक्ष अपनी वित्तीय स्थिति रखेंगे। पहले भी बैंक खाते सीज को लेकर नोटिस आए थे, लेकिन तब किसी तरह क्लेम भुगतान कर दिया गया था। इस बार हमारे पास क्लेम देने के लिए पैसा है नहीं।  
दीपक जैन, महाप्रबंधक (संचालन), रोडवेज 
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