उत्तराखंड : भारी बर्फबारी से दुर्लभ हिमालयी वन्यजीव 4000 फीट नीचे उतरे
उत्तराखंड में सीमांत पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी और धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी के कारण हिमालयन थार, ब्लू शीप, कस्तूरी मृग, मोनाल पक्षी करीब चार हजार फीट तक नीचे उतरकर घाटी के...
उत्तराखंड में सीमांत पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी और धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी के कारण हिमालयन थार, ब्लू शीप, कस्तूरी मृग, मोनाल पक्षी करीब चार हजार फीट तक नीचे उतरकर घाटी के जंगलों में पहुंच गये हैं। आमतौर पर हिमालयी वन्यजीवों का झुंड दिसंबर मध्य तक घाटी में आना शुरू हो जाता है पर इस बार पांच जनवरी से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई। इससे कई जगह तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है। जिस कारण ये वन्यजीव अब प्रवास पर घाटी के जंगलों में पहुंचने लगे हैं।
हिमालयी क्षेत्र में पिछले 15 दिनों में छह से अधिक बार भारी बर्फबारी हुई है। कड़ाके की ठंड में चारों तरफ बर्फ ही बर्फ जमा है और जलस्रोत भी जमने लगे हैं। इससे वन्य जीवों के सामने भोजन के साथ ही पानी का संकट खड़ा हो गया है।
13500 हजार फीट में मिलते हैं दुर्लभ वन्यजीव
आमतौर पर हिमालयी क्षेत्र में 13000 से 13500 फीट तक की ऊंचाई पर मिलने वाले ये दुर्लभ वन्य जीव और पक्षी स्वाभाविक रूप से अपना अस्तित्व बचाने के लिए अब नीचे की ओर घाटी के जंगलों के प्रवास पर आ गए हैं। इन वन्यजीवों ने नदी और जल स्रोतों से सटे जंगलों को इस समय अपना बसेरा बनाया है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार दारमा वैली के साथ खलिया, स्यूनी, मपांग क्षेत्र के 9 से साढ़े 10 हजार फीट तक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के जंगलों में इन्हें अलग-अलग झुंड में देखा गया है।
बर्फबारी के साथ हिमालयी जीवों का प्रवास काल शुरू
सामान्यत: नवंबर में बर्फबारी के बाद इनका शीतकालीन प्रवास प्रारंभ होता है। वर्ष 2019-20 में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी 12 दिसंबर से शुरू हुई थी। इस बार पांच जनवरी से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी शुरू हुई है। जिससे अब ये वन्य जीव प्रवास पर घाटी के जंगलों में पहुंचे हैं।
घाटी के जंगलों में उतरे ये जीव
घाटी के जंगलों में प्रवास पर आने वाले वन्यजीवों में कस्तूरा मृग, हिमालयन थार, ब्लू शीप, सफेद भालू, बार्किंग डीयर, मोनाल आदि शामिल हैं।
शिकारियों ने जंगलों में लगाई आग
उच्च हिमालयी क्षेत्र के दुर्लभ वन्य जीवों के घाटी के जंगलों में आने के बाद अवैध शिकार के लिए शिकारी भी सक्रिय हो गए हैं। बुंगलिंग, दर, चौदास, कजवंती, सरमोली, संखधूरा के जंगलों में ये शिकारी आगजनी कर चुके हैं।
दारमा वैली में हिमालयी वन्य जीवों के संरक्षण पर मैं लंबे समय से काम कर रहा हूं। इन दिनों 13 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई से 9000 से 10500 फीट तक के जंगलों में हिमालयन थार, ब्लू शीप सहित कई दुर्लभ वन्य जीव पहुंचे हैं। ऐसे में इन जीवों को शिकारियों से बचाना चुनौती है। - जयेन्द्र फिरमाल, सीबीटीएस, दारमा वैली (पिथौरागढ़)