केदारनाथ मार्ग से अब तक 10,374 को सुरक्षित निकाला गया, खोजी कुत्ते भी लगाए गए
उत्तराखंड में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके केदारनाथ यात्रा मार्ग पर फंसे यात्रियों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान रविवार को चौथे दिन भी जारी रहा। अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों निकाल लिया गया है।
उत्तराखंड में क्षतिग्रस्त केदारनाथ यात्रा मार्ग पर फंसे यात्रियों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान रविवार को लगातार चौथे दिन भी जारी रहा और अब तक दस हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। प्रदेश के आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने यहां बताया कि अब केवल केदारनाथ में 350 और लिंचोली में 50 यात्री शेष हैं।
उन्होंने बताया कि फंसे लोगों को निकालने के लिए बृहस्पतिवार से अभियान जारी है लेकिन केदारनाथ तथा आसपास के क्षेत्रों में छाए घने बादलों के कारण हवाई अभियान के संचालन में व्यवधान हो रहा है। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण केंद्र के निर्देश पर भारतीय वायु सेना द्वारा उपलब्ध कराया गया चिनूक हेलीकॉप्टर एक भी उड़ान नहीं भर पाया जबकि एमआई17 हेलीकॉप्टर केवल तीन ही उड़ान भर पाया, जिससे 60 लोगों को बचाया गया।
सुमन ने बताया कि मौसमी दशाओं को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा पांच छोटे हेलीकॉप्टरों से हवाई अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मौसम खराब होने के कारण सुबह करीब 400 लोगों को केदारनाथ से लिंचोली पैदल लाया गया और फिर वहां से उन्हें हेलीकॉप्टर के माध्यम से चारधाम और सिरसी हेलीपैड पहुंचाया गया।
इसके अलावा, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और अन्य बचाव दल लोगों को वैकल्पिक मार्गों से भी बाहर लाए। सचिव ने बताया कि रविवार शाम पांच बजे तक केदारनाथ यात्रा मार्ग के विभिन्न पड़ावों केदारनाथ, लिंचोली, भीमबली तथा गौरीकुंड से कुल 2622 लोगों को हवाई मार्ग के जरिये चारधाम हेलीपैड और सिरसी हेलीपैड लाया गया जबकि भीमबली और लिंचोली से 567 लोगों को पैदल मार्ग से चौमासी कालीमठ लाया गया।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, गौरीकुंड से 7185 लोगों को सोनप्रयाग तक पहुंचाया गया। इस प्रकार अब तक चार दिनों में कुल 10,374 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। अधिकारी ने बताया कि केदारनाथ में 350 और लिंचोली में 50 यात्री बचे हुए हैं जबकि गौरीकुंड से सभी यात्रियों को निकाल लिया गया है।
उन्होंने बताया कि केदारनाथ और गौरीकुंड में अब केवल तीर्थ पुरोहित, दुकानदार, घोड़ा तथा पालकी संचालक रह रहे हैं और अगर वे आना चाहेंगे तो उन्हें भी वहां से बाहर निकाला जाएगा। उन्होंने बताया कि सोनप्रयाग, सिरसी, चौमासी, चारधाम हेलीपैड, केदारनाथ हेलीपैड पर लोगों के लिए खाने, पानी और ठहरने की व्यवस्था की गई है। सुमन ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर रविवार से खोज एवं राहत अभियान में जुटे लोगों की संख्या बढ़ाकर 1160 कर दी गयी। अब तक इस काम में 882 लोग बचाव कार्यों में जुटे थे।
बुधवार रात अतिवृष्टि और बादल फटने के कारण केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिंचोली, भीमबली, घोड़ापड़ाव और रामबाड़ा सहित कई स्थानों पर मार्ग बह गया था और अन्य जगहों पर पहाड़ी से भूस्खलन और बड़े-बड़े पत्थर आने से मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे जगह-जगह पर श्रद्धालु फंस गए थे। इस बीच, केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच बह गए मार्ग पर सेना की ओर से पैदल पुल का निर्माण शुरू कर दिया गया है।
उधर, रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान में दो खोजी कुत्तों की मदद भी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि सेना की मदद से यह अभियान चलाया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि कई लोग बारिश के डर से अपनी जान बचाने के लिए जंगलों की तरफ बढ़े होंगे और इस दौरान उनके रास्ता भटकने की आशंका के मद्देनजर खोजी कुत्तों की मदद से क्षेत्र में खोजबीन की जा रही है।
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