जोशीमठ बनने की राह पर उत्तराखंड का नैनीताल, पहाड़ी में भूधंसाव से लोगों में दहशत
सरकारों की लापरवाही के कारण नैनीताल भी जोशीमठ बनने की ओर बढ़ रहा है। शनिवार सुबह नैनीताल की सबसे संवेदनशील आल्मा पहाड़ी में अचानक भूधंसाव शुरू हो गया। भूधंसाव से लोगों में दहशत भी है।

सरकारों की लापरवाही के कारण नैनीताल भी जोशीमठ बनने की ओर बढ़ रहा है। शनिवार सुबह नैनीताल की सबसे संवेदनशील आल्मा पहाड़ी में अचानक भूधंसाव शुरू हो गया। इस पहाड़ी पर करीब दस हजार से अधिक आबादी की बसावट है। सालों से वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद यहां अवैध निर्माण की बाढ़ सी आई हुई है।
जिसका नतीजा शनिवार को भूस्खलन के रूप में सामने आया। सबसे पहले जो दो मंजिला भवन गिरा वह भी अवैध रूप से बना था। जिसे कुछ समय पूर्व ही विकास प्राधिकरण ने सील किया था।
नैनीताल में भूस्खलन के लिहाज से सबसे संवेदनशील इलाका आल्मा की पहाड़ी पर बसा सात नंबर का क्षेत्र माना जाता है।
यह नैनीझील के ऊपर बायीं ओर की खड़ी पहाड़ी है जो ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है। यहां अंग्रेजों के समय से ही निर्माण प्रतिबंधित रहा है। पर बीते तीन से चार दशकों के बीच इस पहाड़ी पर निर्माण की बाढ़ आ गई। मौजूदा समय में इस पहाड़ी पर करीब दस हजार से अधिक लोग घर बनाकर रह रहे हैं।
जिनमें बड़ी संख्या में अवैध रूप से हुए निर्माण भी शामिल हैं। इस अवैध निर्माण में झील विकास प्राधिकरण की भी भूमिका रही है। वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे थे कि पहाड़ियों में भूस्खलन की स्थितियां बन रही हैं। शनिवार की घटना के बाद अब यह आशंका सच साबित होती नजर आ रही है।
ये परिवार किए विस्थापित
पासन डोमा, राहुल पवार, चंद्रशेखर जोशी, रमेश धामी, मंगल बिष्ट, भरत कापड़ी, कैलाश मिश्रा, कमल सिंह के भवन खतरे की जद में हैं। यही नहीं इनके घरों में कई लोग किराए पर भी रहते हैं। ऐसे में प्रशासन की टीम ने सभी को अन्यंत्र विस्थापित कर दिया है। साथ ही आसपास के लोगों को भी सचेत रहने की बात कही है।
ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से जोड़कर देख रहे हादसा
नैनीताल में हुए इस हादसे की एक वजह बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिश भी मानी जा रही है। बारिश से यहां हल्की दरारें उभर आई थीं। कुछ लोग इसे प्रशासन की ओर से बीडी पांडे जिला अस्पताल की भूमि से अतिक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई से भी जोड़ रहे हैं। लोगों का कहना है अतिक्रमण हटाने के लिए बड़ी मशीनें लगाने के कारण भूस्खलन हुआ है।
ड्रेनेज व्यवस्था नहीं पहाड़ी से रिसाव
क्षेत्रीय निवासी सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि ज्यादातर घरों में सीवर के लिए सोखते बनाए गए हैं। पहाड़ी पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। जिस कारण सीवर के पानी का कई इलाकों में रिसाव हो रहा था। इससे पहाड़ी लगातार कमजोर होती गई है। कई बार स्थानीय लोगों ने जल संस्थान के अधिकारियों को उसकी जानकारी दी लेकिन अधिकारियों ने इसका संज्ञान नहीं लिया जिसके चलते अब पहाड़ी में भूस्खलन जैसी बड़ी समस्या देखने को मिल रही है।
नैनीताल की अधिकांश पहाड़ियां अति संवेदनशील हैं। यहां हल्के अर्थ वेग में ही इस तरह की घटनाएं होंगी। लगातार हो रहे निर्माण कार्यो पर नियंत्रण नहीं होने से बड़ी घटनाएं भी हो सकती हैं। संबंधित पहाड़ों पर निर्माण कार्र्यों को रोकना होगा।
प्रो. राजीव उपाध्याय, भू-वैज्ञानिक
चार्टन लॉज की पहाड़ी पर पूर्व से ही भू-स्खलन की घटनाएं देखी जा रही हैं। इसको लेकर शासन-प्रशासन को लगातार जगाने का काम किया जा रहा है। लेकिन इसका परिणाम शून्य है। अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इसे अभी भी रोकना होगा।
अनूप साह, पद्मश्री
भू-स्खलन से गिरते घर का वीडियो वायरल
भू-स्खलन के दौरान लोग यहां वीडियो व फोटो खींचे जा रहे थे। इसी बीच एकाएक भवन ताश के पत्तों की तरह बिखरता हुआ नीचे गिर गया। यह वीडियो कैमरे में कैद हो गया। जोकि तेजी से वायरल होने लगा। इसके बाद क्षेत्र में मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। हालांकि पुलिस ने भीड़ को मुनादी कर कम किया।
