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उत्तराखंड कैबिनेट बैठक: पहाड़ पर उद्योगों को जमीन लेना होगा आसान

पहाड़ों में उद्योग लगाने को लेकर उद्यमियों के सामने अब न जमीन का संकट रहेगा। न ही कृषि भूमि का भूउपयोग बदलवाने में दिक्कत पेश आएगी। राज्य से बाहर के लोग भी पहाड़ पर उद्योग के लिए 12.5 एकड़ से अधिक की...

उत्तराखंड कैबिनेट बैठक: पहाड़ पर उद्योगों को जमीन लेना होगा आसान
देहरादून, वरिष्ठ संवाददाताSat, 06 Oct 2018 11:49 AM
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पहाड़ों में उद्योग लगाने को लेकर उद्यमियों के सामने अब न जमीन का संकट रहेगा। न ही कृषि भूमि का भूउपयोग बदलवाने में दिक्कत पेश आएगी। राज्य से बाहर के लोग भी पहाड़ पर उद्योग के लिए 12.5 एकड़ से अधिक की भूमि खरीद सकेंगे। भूउपयोग परिवर्तन के लिए 143 की जटिल प्रक्रिया से भी नहीं गुजरना होगा। इसके लिए सरकार शुक्रवार को अध्यादेश लेकर आई।

राज्य कैबिनेट ने पहाड़ों पर उद्योगों के लिए रास्ता खोलने को लेकर शुक्रवार को तमाम बड़ी घोषणाएं की। सबसे बड़ी व अहम घोषणा करते हुए सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि सरकार ने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि व्यवस्था 1950(अनुकूलन एवं उपान्तरण) संशोधन 2018 को मंजूरी दी।

इस संशोधन के साथ ही अब पहाड़ों पर उद्योग लगाने को राज्य से बाहर के उद्योगपति भी 12.5 एकड़ से अधिक की भूमि खरीद सकेंगे। इसके लिए उन्हें भूमि खरीद की लंबी जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। सिर्फ जिलाधिकारी को मात्र सूचना देनी होगी। जिसमें जिक्र करना होगा कि औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि खरीदी जा रही है।

लिखित रूप से डीएम को भूमि खरीद का औद्योगिक प्रयोजन बताते ही उद्यम लगाने वाले को स्वत: ही भूउपयोग परिवर्तन की मंजूरी मिल जाएगी। इसके लिए 143 की जटिल प्रक्रिया को संशोधित कर दिया गया है। राज्य के लोग भी अपनी कृषि भूमि पर औद्योगिक, व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित कर सकेंगे। उन्हें भी सीधे ही भूउपयोग परिवर्तन परिवर्तन की मंजूरी मिलेगी। इस संशोधन के बाद अब पहाड़ में उद्योग, होटल, पर्यटन गतिविधियों, स्कूल, अस्पताल निर्माण से लेकर तमाम गतिविधियों को संचालित करने का काम आसान हो जाएगा।

क्या होती है धारा 143
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि को अकृषि कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने को लेकर एसडीएम न्यायालय में वाद दायर किया जाता है। इस पर तहसीलदार, पटवारी की रिपोर्ट लगने के साथ ही थका और परेशान कर देने वाली सुनवाई प्रक्रिया चलती है। अब इससे राहत मिलेगी।

सिर्फ पहाड़ और गांव में ही छूट
भूमि खरीद से लेकर भूउपयोग परिवर्तन प्रक्रिया में बदलाव को लेकर हुए ये संशोधन सिर्फ विशुद्ध रूप से पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है। नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, कैंट क्षेत्रों में ये लाभ नहीं मिलेंगे। देहरादून में विकासनगर, सहसपुर, डोईवाला, रायपुर ब्लॉक क्षेत्रों में ये राहत नहीं मिलेगी। नैनीताल में हल्द्वानी व रामनगर क्षेत्र में भी ये राहत नहीं मिलेगी। हरिद्वार, यूएसनगर में कोई लाभ नहीं मिलेगा। शेष पूरे राज्य में इस संशोधन का लाभ राज्य व राज्य से बाहर के लोगों को मिलेगा।

गड़बड़ी पर जमीन सरकार में होगी जब्त
इस बड़ी छूट का लाभ लोगों को भले ही मिलेगा, लेकिन यदि किसी भी स्तर पर कोई गड़बड़ी की गई, तो सख्त कार्रवाई के भी प्रावधान भी किए गए हैं। मसलन यदि किसी व्यक्ति ने औद्योगिक प्रयोजन के नाम पर जमीन खरीदी और तय समय सीमा के भीतर उद्योग या रोजगारपरक दूसरी व्यवसायिक, कारोबारी गतिविधियां संचालित नहीं की तो, जमीन सीधे सरकार में निहित हो जाएगी।

सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि सरकार का ये फैसला पहाड़ की तस्वीर बदल देगा। पहाड़ों में अधिक से अधिक संख्या में लोग उद्योग, कारोबारी गतिविधियों को संचालित कर सकेंगे। इससे पलायन दूर होगा, लोगों को पहाड़ पर ही रोजगार उपलब्ध होंगे। इसके लिए सरकार ने तमाम जटिलताओं को एक झटके में दूर कर, पहाड़ के लिए विकास के दरवाजे खोल दिए हैं।

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