10 दिवाली 10 कहानी: जब मन्दिर के शीर्ष पर जलता है दीया, तब रोशन करते हैं घर-आंगन
चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में दिवाली की अनोखी परम्परा है। 64 गांवों के आराध्य देवी भगवान गोपीनाथ के मंदिर के शीर्ष पर जब दिवाली के दिन बड़ा दीया जलता है और शंख बजाया जाता है, तब इन गांवों के...
चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में दिवाली की अनोखी परम्परा है। 64 गांवों के आराध्य देवी भगवान गोपीनाथ के मंदिर के शीर्ष पर जब दिवाली के दिन बड़ा दीया जलता है और शंख बजाया जाता है, तब इन गांवों के लोग अपने घरों के देहरी पर दीया जलाते हैं।
गोपेश्वर अब नगर बन गया है, लेकिन दिवाली को लेकर एक परम्परा जो वर्षों पूर्व शुरू हुई थी, आज भी निभाई जा रही है। दिवाली के दिन शाम को गांवों से लोग ढोल-दमाऊं लेकर चौक पर पहुंचते हैं यहां पूजा होती है। एक बड़ा तेल कलश और 501 छोटे-छोटे दीपकों की पूजा की जाती है। फिर इन्हें लेकर मंदिर में लोग पहुंचते हैं। एक व्यक्ति तेल कलश लेकर मन्दिर के शीर्ष पर जाता है। मशाल से तेल कलश जलाया जाता है। शंख बजाता है। मंदिर के शीर्ष पर तेल कलश की ज्योति और शंख की आवाज सुनते ही लोग अपने घरों की देहरी पर दीये जलाने शुरू कर देते हैं। समय के साथ कुछ गांवों ने यह परम्परा भूला दी है लेकिन पर गोपेश्वर गांव पाडुली, पपडियाणा, ग्वीलों समेत कुछ गांव के लोग अभी भी यह परम्परा निभा रहे हैं।
दिवाली के दिन खेलते थे रस्साकसी
जाखणी गांव में एक अनोखी परम्परा है। खेत के बीचों बीच एक सूखे पेड़ को काट कर लाया जाता है। उस पर घास लपेटी जाती है । फिर आग लगाकर खुशी जाहिर की जाती है। गोपेश्वर गांव में पहले मंदिर के चौक में महिला पुरुष घास की मोटी रस्सी से रस्सा कसी करते थे। कोई चुपचाप रस्सी पर आग लगा देता और दोनों ओर से लोग धड़ाम से गिर जाते। हंसी का माहौल बन जाता था।