नई शिक्षा नीति मार्च में हो सकती है मंजूर : मानव संसाधन मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक VIDEO
नई शिक्षा नीति को मार्च में कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। मानव संसाधन मंत्री ने बताया कि मसौदा लगभग बनकर तैयार हो चुका है। मसौदे को मार्च में केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जा सकता है। कैबिनेट की...
नई शिक्षा नीति को मार्च में कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। मानव संसाधन मंत्री ने बताया कि मसौदा लगभग बनकर तैयार हो चुका है। मसौदे को मार्च में केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जा सकता है। कैबिनेट की हरी झंडी मिलने के बाद नीति को संसद में पेश किया जाएगा। रविवार को हरिद्वार में मानव संसाधन मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि बहुत जल्द देश में नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है। बताया कि नई शिक्षा नीति पूरी तरह से भारत केंद्रित होगी। देशभर में 33 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया जा रहा है।
बताया कि गहन शोध के बाद भारत की ज्ञान और संस्कृति के आधारित रोजगारपरक शिक्षा नीति तैयार की गई है। बताया कि शिक्षा नीति के तहत एक पाठ्यक्रम लागू होगा। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही शिक्षा नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद नीति को अंतिम रूप देने में 15-20 दिन और लगेंगे और फिर इसे सार्वजनिक किया जा सकता है। नई शिक्षा नीति के मसौदे को सरकार ने एचआरडी मंत्रालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए भी रखा था। इसपर पर दो लाख से अधिक सुझाव आ चुके हैं। हालांकि अंतिम मसौदे में बोर्ड परीक्षाओं को ‘आसान’ बनाना, कॉलेजों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना, लिबरल आर्ट के लिए चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम और प्री स्कूल सहित स्कूली शिक्षा प्रारूप में सुधार के सुझाव मिले थे। जिसमें बदलाव की संभावना भी है।
जेएनयू पर भी दी तीखी प्रतिक्रिया
जेएनयू में सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को केंद्रीय मंत्री डॉ. निशंक ने देश विरोधी बताया। कहा कि देश विरोधी हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सीएम की दावेदारी पर बोले-पार्टी तय करती है भूमिका
पत्रकारों ने केंद्रीय मंत्री से मुख्यमंत्री के पद की दावेदारी की चर्चा पर भी सवाल पूछा गया। इस पर डॉ. निशंक ने कहा उनकी भूमिका पार्टी तय करती है।
कहा-सबसे पहले दिया था उत्तरांचल नाम
डॉ. निशंक ने बताया कि सबसे पहले 1984 अपनी शोध पत्रिका में उन्होंने गढ़वाल और कुमांऊ क्षेत्र को उत्तरांचल नाम दिया था। बताया कि इस पत्रिका ने देश दुनिया को बताया था कालीमठ कवि कालीदास और कण्वाश्रम प्रतापी राजा भरत की जन्म स्थली है।