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Hindi News उत्तराखंडचोटी पर खड़े थे, सामने दिख रही थी मौत; केदारनाथ में फंसे युवकों की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तां  

चोटी पर खड़े थे, सामने दिख रही थी मौत; केदारनाथ में फंसे युवकों की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तां  

उत्तराखंड में भारी मानसूनी बारिश और लगातार हो रहे भूस्खलन के बीच केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर एक सीधी खड़ी चट्टान की चोटी पर फंसे दो युवकों को आखिरकार बचा लिया गया। दोनों दिल्ली के रहने वाले हैं।

चोटी पर खड़े थे, सामने दिख रही थी मौत; केदारनाथ में फंसे युवकों की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तां  
Subodh Mishraवार्ता,देहरादूनSun, 04 Aug 2024 05:04 PM
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उत्तराखंड में भारी मानसूनी बारिश और लगातार हो रहे भूस्खलन के बीच केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर एक सीधी खड़ी चट्टान की चोटी पर फंसे दो युवकों को रविवार को सुबह सुरक्षित उतार लिया गया। यह अकल्पनीय और असाधारण रेस्क्यू राज्य में देवदूत कहे जाने वाले आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने कर दिखाया।

एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि देर रात सोनप्रयाग कोतवाली से एसडीआरएफ टीम को सूचना मिली कि 11 श्रद्धालु त्रिजुगी नारायण से ऊपर आठ किलोमीटर की दूरी पर जंगल में भटक गए हैं। उनके पास खाने-पीने का सामान समाप्त हो चुका था। उन्हें तत्काल मदद की आवश्यकता है।

सूचना मिलते ही एसडीआरएफ की रेस्क्यू टीम 13 किलोमीटर के सड़क मार्ग से त्रिजुगी नारायण के लिए रवाना हुई। वहां पहुंचने के बाद छह बहादुर जवानों की यह टीम उप निरीक्षक जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में स्थानीय लोगों के साथ पांच किलोमीटर की दुर्गम चढ़ाई चढ़कर सोन नदी के किनारे पहुंचे। उन्होंने बताया कि वहां का दृश्य अत्यंत विकट था। सोन नदी अपने सबसे तेज प्रभाव में बह रही थी। इसी दौरान सूचना मिली कि 11 में से नौ श्रद्धालु सकुशल वापस आ चुके हैं, लेकिन दो लोग अब भी फंसे हुए हैं।

मिश्रा ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से ड्रोन का उपयोग कर सोन नदी के दूसरी ओर जंगल की सर्चिंग शुरू की। ड्रोन को ऊपर देख चट्टान पर बैठे दोनों युवकों ने आवाज लगाई। दोनों युवकों एक खड़ी चट्टान के ऊपर खड़े थे, जहां से उनके लिए नीचे उतरना असंभव था। टीम ने दोनों युवकों को कड़ी मशक्कत के बाद सकुशल नीचे उतारा। युवकों की पहचान अंकित पुत्र फाजिल मंडल और सुनील पुत्र महेश सिंह, निवासी सरिता विहार, दिल्ली के रूप में हुई है। 

युवकों ने बताया कि 31 जुलाई को बादल फटने के बाद वे गौरीकुंड में फंस गए थे। स्थानीय लोगों के कहने पर वे गौरीकुंड त्रिजुगी नारायण तोशी मार्ग पर चल दिए। उनकी संख्या 13 के करीब हो गई थी, लेकिन उनमें से कुछ लोग वापस चले गए और नौ सकुशल सोनप्रयाग पहुंच गए। ये दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे और अपने साथियों से बिछड़ गए। इन दोनों के पास खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका था। दोनों एक बड़े चड्डान पर खड़े थे। वहां से उन्हें उनकी मौत साफ दिख रही थी। उन्होंने खुद को अकेला पाकर सोनप्रयाग कोतवाली को अपने फंसे होने की सूचना दी। मिश्रा के अनुसार, एसडीआरएफ की रेस्क्यू टीम ने रोप रेस्क्यू की मदद से विकराल नदी को पार किया और खड़ी चट्टान से दोनों युवकों को सुरक्षित नीचे उतारा। इसके बाद उन दोनों युवकों को सुरक्षित सोनप्रयाग कोतवाली पहुंचाया। 

एसडीआरएफ की पुलिस महानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल ने केदारनाथ यात्रा मार्ग में 5000 से अधिक यात्रियों को व त्रिजुगीनारायण में इन युवकों को कठिन परिस्थितियों में रेस्क्यू करने पर रेस्क्यू टीम की सराहना की है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एसडीआरएफ के एसआई जितेंद्र सिंह के साथ आरक्षी रमेश रावत, आरक्षी हिमांशु नेगी,आरक्षी सोनू सिंह, होमगार्ड कर्मी कैलाश, पैरामेडिक्स अमृत एवं भूपेंद्र शामिल रहे। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में स्थानीय लोगों ने भी एसडीआरएफ का काफी सहयोग किया है।