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‘वात्सल्य’ पाने को दो-दो परिवार जता रहे हैं हक, जानें क्या है पूरा मामला 

कोविड या अन्य बीमारियों से अनाथ हुए कई बच्चों पर दो-दो परिवार हक जता रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का लाभ देने में दिक्कत आ रही है। दो परिवारों की ओर से अलग-अलग आवेदन आने...

‘वात्सल्य’ पाने को दो-दो परिवार जता रहे हैं हक, जानें क्या है पूरा मामला 
देहरादून। सागर जोशी Thu, 25 Nov 2021 09:50 AM
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कोविड या अन्य बीमारियों से अनाथ हुए कई बच्चों पर दो-दो परिवार हक जता रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का लाभ देने में दिक्कत आ रही है। दो परिवारों की ओर से अलग-अलग आवेदन आने के चलते विवाद की स्थिति खड़ी हो गई है। अब जिला प्रोबेशन विभाग विधिक राय लेकर ऐसे मामलों को सुलझा रहा है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का देहरादून के 491 अनाथ बच्चों को लाभ मिल चुका है।

इनमें 430 बच्चे के माता-पिता ने कोरोना के कारण अपनी जान गंवाई। जबकि 61 बच्चों के माता-पिता का अन्य बीमारियों के कारण देहांत हुआ है। इस दौरान कुछ मामलों में ऐसे आवेदन भी आ रहे हैं, जिसमें बच्चों के घर और ननिहाल वाले दोनों ही योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन कर रहे हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट ने बताया कि पात्र बच्चों को इस योजना का लाभ अवश्य मिलेगा। ऐसे मामलों के लिए विधिक राय ली गई है। आवेदक की ओर से कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही योजना का लाभ दिया जा रहा है।

दो परिवारों ने जताया परवरिश का हक
दून निवासी दो अनाथ बच्चों के दादा की ओर से योजना के लिए आवेदन किया गया। बच्चों के माता-पिता का निधन कोविड के कारण हो गया था। आपत्ति लगने के बाद मालूम हुआ कि बच्चों के मामा की ओर से भी आवेदन किया गया है। अब दोनों ही परिवार बच्चों की परवरिश पर हक जता रहे हैं। ऐसे में मामला फंस गया है।

ननिहाल वालों ने जताई आपत्ति
कोविड के कारण अनाथ हुए प्रेमनगर निवासी बच्चों के मामले में पिता पक्ष के परिजनों की ओर से आवेदन किया गया, लेकिन बच्चों के ननिहाल की ओर से आपत्ति दर्ज लगा दी गई कि बच्चे ननिहाल में रह रहे हैं। रिश्तेदारों का आरोप है कि ननिहाल वाले दो दिन के लिए कहकर ले गए थे, अब वापस नहीं भेज रहे हैं।

बच्चे से पूछा जाएगा, किसके साथ रहना चाहता है
दो-दो परिवारों की ओर से आवेदन आने के बाद विधिक राय ली गई। इसमें बताया गया है कि आवेदन करने वाले को पालक प्रमाणपत्र लाना होगा। इसके बाद बच्चे से भी राय ली जाएगी कि वह किसके साथ रहना चाहता है। इसके बाद ही योजना का लाभ दिया जाएगा। वहीं योजना के तहत दुर्घटना में अनाथ हुए बच्चों को लाभ नहीं मिलता है, लेकिन लगातार इस तरह के आवेदन आ रहे है। कुछ बच्चे 21 साल की उम्र पूरी होने के बाद आवेदन कर रहे हैं। ऐसे में आवेदनों को निरस्त किया जा रहा है।

प्रत्येक बच्चे को तीन हजार रुपये मासिक आर्थिक मदद
एक मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 तक कोविड-19 महामारी या अन्य बीमारियों से माता-पिता एवं संरक्षक की मौत पर 21 साल तक के प्रभावित बच्चों की देखभाल के लिए योजना लागू की गई है। इस योजना में अभी तक सबसे ज्यादा लाभ देहरादून में दिया गया है। इस योजना के माध्यम से प्रतिमाह तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रत्येक बच्चे को 21 वर्ष की आयु तक भरण-पोषण भत्ता के रूप में दी जानी है। 

देहरादून में बच्चा गोद लेने के लिए ढाई साल का इंतजार 
यदि आप बच्चा गोद लेने की तैयारी कर रहे हैं तो इस प्रक्रिया में ढाई साल का समय लग सकता है। दून में पहले बच्चा 6 महीने में मिल जा रहा था। पिछले दो सालों में बच्चा गोद लेने वालों के आवेदनों में बढ़ोतरी हुई है। देहरादून के बाल संप्रेक्षण गृह में अभी 29 बेसहारा हैं, जिनको लेने के लिए हजारों ऑनलाइन आवदेन आ रहे हैं।

बच्चा गोद लेने के लिए सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी ‘कारा’ वेबसाइट में आवेदन करना होता। बच्चा गोद लेने की पूरी प्रक्रिया दिल्ली में ही पूर्ण होती है। दिल्ली से आदेश आने के बाद बच्चों को संप्रेक्षण गृह से भेजा जाता है। बच्चा देने के बाद भी उस पर नजर रखी जाती है। जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट ने बताया कि देहरादून में बच्चा गोद लेने के लिए करीब ढाई साल का समय लग रहा है। 

यह है नियम 
माता-पिता का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिर और आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है। दंपति की सहमति की आवश्यकता भी होती है। सिंगल महिला किसी भी जेंडर के बच्चे को गोद ले सकती है, लेकिन पुरुष को बेटी को गोद नहीं दिया जाता है। दो साल का वैवाहिक संबंध रखने के बाद दंपति बच्चा गोद ले सकते हैं। अभिभावकों को कोई जानलेवा बीमारी भी नहीं होनी चाहिए। गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच उम्र का फासला कम से कम 25 साल का होना ही चाहिए। तीन या इससे अधिक बच्चे होने पर अभिभावक बच्चा गोद लेने के लिए योग्य नहीं होते हैं।

इसलिए करना पड़ रहा बच्चों को गोद लेने में इंतजार 
वर्ष 2017-18 में छह माह में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हो जाती थी। लेकिन पिछले सालों में लगातार आवेदन बढ़े है। इसी कारण देरी हो रही है। एक एक परिवार की  काउंसलिंग से लेकर केस हिस्ट्री देखी जाती  है। इस कारण समय लग रहा है और देरी से  ही नंबर आ रहा है। 

 

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