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उत्तराखंड में बाघों की मौत का आंकड़ा 3 गुना तक बढ़ा, कार्बेट पार्क में हुईं ज्यादा मौतें 

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी यानी एनटीसीए के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अब तक देशभर में 159 बाघों की मौत हुई है। यह आंकड़ा पिछले साल 127 और उससे पहले 121 था। देश में बाघों की मौत बढ़ी है।

उत्तराखंड में बाघों की मौत का आंकड़ा 3 गुना तक बढ़ा, कार्बेट पार्क में हुईं ज्यादा मौतें 
Himanshu Kumar Lall देहरादून। ओमप्रकाश सती, Tue, 14 Nov 2023 06:12 AM
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उत्तराखंड में भले ही 70 फीसदी जंगल हों, लेकिन यहां बाघों का जीवन खतरे में पड़ रहा है। राज्य में बाघों की मौत का आंकड़ा तीन गुना तक बढ़ गया है, जो कि काफी चिंताजनक है। इस साल अब तक राज्य में 19 बाघ मारे गए हैं। जबकि पिछले पूरे साल में छह बाघों की मौत हुई थी। इसके अलावा 2021 में केवल तीन बाघ ही उत्तराखंड में मरे थे।

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी यानी एनटीसीए के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अब तक देशभर में 159 बाघों की मौत हुई है। यह आंकड़ा पिछले साल 127 और उससे पहले 121 था। यानी देश में भी बाघों की मौत में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसमें सबसे ज्यादा 37 बाघ महाराष्ट्र में मारे गए।

जबकि इसके बाद 36 बाघ मध्य प्रदेश, यूपी में छह, बिहार में तीन बाघों की मौत हो चुकी है। उत्तराखंड में ये आंकड़ा 19 है। इसे लेकर वन्यजीव विशेषज्ञ भी चिंतित हैं। बाघों की मौत के पीछे सबसे बड़ी वजह आपसी संघर्ष माना जा रहा है। जबकि हादसे और शिकार भी मौत की मुख्य वजह है।

दायरा कम होना संघर्ष का बड़ा कारण
उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में बाघों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। जिस कारण यहां उनका घनत्व काफी ज्यादा हो गया है। ये उनके आपसी संघर्ष बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है। क्योंकि एक बाघ करीब सौ किलोमीटर के दायरे में अपनी टेरिटरी बनाता है। वहीं घनत्व बढ़ने से उनके लिए हिरण, सांभर और अन्य तरह के जानवरों के रूप में भोजन भी कम पड़ रहा है। वहीं गुलदारों की संख्या करीब ढाई हजार तक पहुंचने के कारण भी बाघों के लिए खाना कम पड़ रहा है।

कॉर्बेट में सबसे ज्यादा मौतें
अब तक जो भी 19 मौतें हुई हैं उनमें सबसे ज्यादा आठ मौतें कॉर्बेट में हुई हैं। जबकि एक राजाजी पार्क में हुई। उसके आसपास भी सात से ज्यादा मौतें हुई। यानी 15 मौतें कुमाऊं में ही हुई हैं। इसके अलावा गढ़वाल में केवल चार बाघों की मौत हुई। यानी बाघों की मौत के मामले में कुमाऊं बेहद संवेदनशील रहा है। इसके पीछे वहां बाघों की संख्या ज्यादा होना भी बड़ा कारण है। इसके अलावा यूपी और नेपाल सीमा से सटा होना भी कारण है।

बाघों की जो खालें पकड़ी गई थी उन मामलों की जांच चल रही है। इसमें कई अहम तथ्य सामने आए हैं जिनसे ये पता चलेगा कि शिकार कहां हुआ। इसे लेकर विभागीय अलर्ट भी कर दिया गया है। वहीं मौतों के बढ़ने के पीछे बड़ा कारण लगातार संख्या बढ़ना भी है। अब तक जो भी मौतें हुई उनका गहन अध्ययन किया जा रहा है।
डा. समीर सिन्हा, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन

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