'शक कभी सबूत की जगह नहीं ले सकता'; उत्तराखंड HC ने पलटा निचली अदालत का फैसला, हत्या के 2 आरोपी बरी
हाईकोर्ट ने कहा कि 'हो सकता है' और 'होना चाहिए' में फर्क को ध्यान में रखा जाना चाहिए और आपराधिक मामले में मुकदमे के दौरान 'अस्पष्ट अनुमानों' और 'निश्चित निष्कर्षों' में अंतर किया जाना चाहिए।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने डकैती के दौरान एक महिला की हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा दो व्यक्तियों को सुनाई गई मौत की सजा को पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे के दौरान 'अस्पष्ट अनुमान' और 'निश्चित निष्कर्षों' में अंतर किया जाना चाहिए।
मंगलवार को दिए अपने आदेश में निचली अदालत को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने कहा कि मुकदमे के दौरान संदेह, चाहे वह कितना भी मजबूत क्यों न हो, सबूत की जगह नहीं ले सकता।
'गवाहों के बयान गंभीर संदेह उत्पन्न करते हैं'
बेंच ने सत्येश कुमार उर्फ सोनू और मुकेश थपलियाल को डकैती और हत्या के आरोपों से बरी कर दिया और उनकी रिहाई के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान गंभीर संदेह उत्पन्न करते हैं। बेंच ने कहा कि संदेह, चाहे वह कितना भी मजबूत क्यों न हो, कभी सबूत की जगह नहीं ले सकता। बेंच का कहना था कि यह सुनिश्चित करना अदालत का दायित्व है कि किसी भी अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए केवल अनुमान या संदेह किसी विधिक प्रमाण का स्थान न ले।
हाईकोर्ट ने कहा कि 'हो सकता है' और 'होना चाहिए' में फर्क को ध्यान में रखा जाना चाहिए। बेंच ने यह भी कहा कि आपराधिक मामले में मुकदमे के दौरान 'अस्पष्ट अनुमानों' और 'निश्चित निष्कर्षों' में अंतर किया जाना चाहिए ।
क्या है मामला
मृतक महिला के बेटे ने जून 2017 को पुलिस से इसकी शिकायत की थी जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर के अनुसार, सत्येश कुमार और मुकेश थपलियाल ने रुद्रप्रयाग जिले के कोट बांगर गांव में सरोजिनी देवी के घर डकैती डाली और उनकी हत्या करने के बाद उनका शव घर के पीछे छुपा दिया।इस घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था, लेकिन लूटे गए कुछ गहने और रकम उन दोनों के पास से बरामद हुए थे।
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