ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंडकोरोना इफेक्ट: शुगर-बीपी के मरीजों की टूट रही सांसों की डोर, 200 संक्रमित तोड़ चुके हैं दम 

कोरोना इफेक्ट: शुगर-बीपी के मरीजों की टूट रही सांसों की डोर, 200 संक्रमित तोड़ चुके हैं दम 

कोरोना काल में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों पर कोरोना कहर बरपा रहा है। दून मेडिकल कॉलेज में अभी तक 38 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई है। इनमें 60 फ़ीसदी यानी 21 लोगों को डायबिटीज की...

कोरोना इफेक्ट: शुगर-बीपी के मरीजों की टूट रही सांसों की डोर, 200 संक्रमित तोड़ चुके हैं दम 
हिन्दुस्तान टीम, देहरादून | चांद मोहम्मद Mon, 24 Aug 2020 01:05 PM
ऐप पर पढ़ें

कोरोना काल में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों पर कोरोना कहर बरपा रहा है। दून मेडिकल कॉलेज में अभी तक 38 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई है। इनमें 60 फ़ीसदी यानी 21 लोगों को डायबिटीज की बीमारी थी।

वहीं इनमें से 10 लोग हाई ब्लड प्रेशर के भी शिकार थे। दून अस्पताल में किए गए डेथ ऑडिट में यह तस्वीर सामने आई है । इसके अलावा किडनी, लीवर, दिल के मरीजों को भी कोरोना ने अपना निशाना बनाया है।

प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष सयाना, डिप्टी एमएस डॉक्टर एनएस खत्री के मुताबिक हर मौत का डेथ ऑडिट किया जा रहा है। सामने आने वाले तथ्यों से विशेषज्ञ डॉक्टर अन्य मरीजों के उपचार में मदद ले रहे है और इस पर शोध कर रहे है। 

50 से कम उम्र के भी 9 मरीज 
जिन 38 लोगों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हुई है ।उनमें से 29 लोग 50 वर्ष की उम्र से अधिक के थे। वही 9 लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 50 साल से नीचे थी। 26 ऐसे मरीज की मौत हुई जो दूसरे अस्पताल से रेफर होकर आए वह विभिन्न बीमारियों को लेकर वहां भर्ती थे कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उन्हें दून अस्पताल रेफर कर दिया गया। अस्पतालों के तत्काल भेज देने एवं उसे स्टेबल भी नहीं किये जाने से सिस्टम की किरकिरी हुई।

अस्पताल में जिन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई है। देखने में आया है कि वह पहले से बीमार थे, अधिकांश को शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत थी। लीवर किडनी गुर्दे की समस्या भी थी। कई लोगों को दिल से संबंधित और टीबी भी थी। वही निमोनिया होने की वजह से भी कई लोगों की मौत हुई। सभी मौतों का डेथ ऑडिट किया जा रहा है और डॉक्टर इस पर अध्ययन कर रहे हैं।
डॉक्टर एनएस खत्री, स्टेट कोर्डिनेटर और डिप्टी एमएस, दून अस्पताल
 
ऑक्सीजन लेवल काम होना भी बना मौत की वजह
डिप्टी एमएस डॉक्टर एनएस खत्री कहते हैं कि ऑक्सीजन का लेवल मरीजों की शरीर में कम होना भी मौत का वजह बनता है। सामान्यत 98 या 97 ऑक्सीजन का लेवल होना चाहिए। 95 से नीचे ऑक्सीजन का लेवल आने पर वह व्यक्ति हाई रिस्क में आ जाता है। जिसे हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा जाता है इसके बाद बाइपेप और यदि यहां भी उसकी स्थिति ठीक नहीं होती तो वेंटिलेटर पर लिया जाता है। ऐसे कई व्यक्ति थे जिनका ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से मौत हुई। हालांकि अधिकांश मौत श्वसन तंत्र फेल होने और मल्टी ऑर्गन फैलियर या दिल का दौरा पड़ने से हुई।
 
बुजुर्गों को सुरक्षित रखने के लिए परिवार सदस्य बरते एहतियात
दून अस्पताल के कोरोना नोडल अधिकारी डॉ अनुराग अग्रवाल और मेडिसन विभाग के एचओडी डॉ नारायणजीत सिंह कहते हैं कि जिन लोगों को पहले से किसी बीमारी का इलाज चल रहा है और उनकी उम्र 60 साल से अधिक है तो उन्हीं कोरोना का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे मरीजों का खासतौर से ध्यान रखने की जरूरत है।
ऐसे लोगों के परिवार सदस्य जो लगातार बाहर निकल रहे हैं उन्हें अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। परिवार सदस्य जब बाहर से आए तो सीधे बुजुर्गों के कमरे में ना जाएं बुजुर्गों को लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रखें और जो दवाई चल रही है उनको लगातार चलाते रहें। मास्क सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंस का लगातार हरगिज पालन करे।
 
एक सप्ताह में 2626 मरीज, 44 की मौत 
राज्य में कोरोना काल के 23 वें सप्ताह में कुल 2626 नए मरीज मिले हैं। इस दौरान 2373 मरीज ठीक होने के बाद अस्पतालों से डिस्चार्ज किए गए। जबकि 44 मरीजों की कोरोना संक्रमण के बाद मौत हुई है। ये तीनों ही आंकड़े इससे पहले के 22 सप्ताहों से ज्यादा हैं। राज्य में अभी तक कुल दो लाख 81 हजार से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है। हालांकि इस सप्ताह पिछले सप्ताह के मुकाबले कुछ कम टेस्ट हुए हैं। जिसका प्रमुख कारण इस सप्ताह हल्द्वानी के साथ ही दून मेडिकल कॉलेज की लैब में संक्रमण फैलना एक प्रमुख कारण रहा है। 
राज्य में अभी तक कोरोना संक्रमण के बाद मरने वाले मरीजों की कुल संख्या 200 हो गई है। 
हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें