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जहां पर हो वहीं बने रहो, यही सुरक्षित जगह है...केदारनाथ रूट पर बादल फटने के बाद ऐसे बच रही जान

एसडीआरएफ के एसआई प्रेम सिंह की कमान में जवानों की एक टोली उस समय लिंचौली में ही मौजूद थी और बराबर यात्रियों को सतर्क करते हुए सामान्य रखने का पूरा प्रयास कर रही थी। तीर्थ यात्रियों को रेस्क्यू किया।

जहां पर हो वहीं बने रहो, यही सुरक्षित जगह है...केदारनाथ रूट पर बादल फटने के बाद ऐसे बच रही जान
रुद्रप्रयाग। बद्री नौटियाल Sun, 4 Aug 2024 06:29 AM
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केदारघाटी में 31 जुलाई की रात्रि तेज बारिश और बादल फटने के चलते लिंचौली, भीमबली में बेहद खौफनाक मंजर था। उस रात को हो रही तेज बारिश ने केदारनाथ में 2013 में आई आपदा की याद दिला दी। न कोई ऊपर की ओर जा सकता था न ही नीचे की ओर।

केदारनाथ से गौरीकुंड के बीच सैकड़ों यात्री फंसे हुए थे। एक वीडियो में जवान यात्रियों से यह कहते सुना जा रहा था कि वे जिस जगह पर हैं उसी जगह पर बने रहें, यही सुरक्षित जगह है। उस दिन के खौफनाक मंजर की कहानी का बयां करता एक छोटा सा वीडियो सामने आया है।

जिससे पता चलता है कि तेज बारिश, जगह-जगह हो रहे भूस्खलन की वजह से यात्रियों पर क्या बीत रही थी। रामबाड़ा से लेकर भीमबली, लिंचौली के बीच टेंटों में मौजूद यात्री ऊपर से आ रही मंदाकिनी नदी के तेज बहाव व गड़गड़ाहट को सुनकर घबराए हुए थे।

केदारनाथ की ओर फंसे कुछ यात्री सीटी बजाकर अपने फंसे होने की सूचना देने का प्रयास कर रहे थे। लिंचौली में मौजूद यात्री और भी अधिक मुसीबत में थे, चूंकि न सिर्फ मंदाकिनी नदी, बल्कि बराबर की पहाड़ी से लगातार पानी व मलबा आता जा रहा था।

एसडीआरएफ के एसआई प्रेम सिंह की कमान में जवानों की एक टोली उस समय लिंचौली में ही मौजूद थी और बराबर यात्रियों को सतर्क करते हुए सामान्य रखने का पूरा प्रयास कर रही थी। जल्द ही उन तक सहायता पहुंच जाएगी।

निर्णायक साबित हुआ लिंचौली टीम का संघर्ष
तेज बारिश, बादल फटने और चट्टानों के खिसकने से यात्री सहमे थे। ऐसे में एसडीआरएफ की लिनचोली टीम का हौसला बुलंद था। शाम होते-होते टीम को सूचना मिली कि एक व्यक्ति रास्ता भटक गया है। टीम एसआई प्रेम सिंह के नेतृत्व में बड़ी लिंचौली से छोटी लिंचौली की ओर बढ़ने लगी।

बारिश के बीच यह टीम छोटी लिंचौली पहुंची। वहां का दृश्य और भी भयानक था। चारों ओर पानी की धाराएं, गिरते हुए पत्थर और दहशत में करीब 300 से ज्यादा श्रद्धालु। पुलिस की मदद से टीम ने यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने लगी। साथ ही उनका हौसला बढ़ाया।

इस बीच, टीम ने किसी भी संभावित भूस्खलन और अचानक बाढ़ की चेतावनी के मद्देनजर अपनी रणनीति बनाई। 05 साल के एक बालक समेत सभी यात्री इस टीम की त्वरित और बहादुर कार्रवाई की बदौलत सुरक्षित निकलने में कामयाब रहे।

एसडीआरएफ ने बचाई चार हजार जिंदगियां
केदारनाथ से सोनप्रयाग के बीच 31 जुलाई को भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के बीच एसडीआरएफ के 40 जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना चार हजार से अधिक लोगों की जान बचाई।

एसडीआरएफ के जवानों की बहादुरी, अदम्य साहस और तत्परता की खूब चर्चाएं हैं। एसडीआरएफ टीमों ने मोर्चा संभाल लिया। पहले दिन, इन टीमों ने 02 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता बनाकर 1,700 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया।

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