प्रदेश में दो शिक्षकों की तलाश में 108 अफसर, हैरान करने वाली है वजह, पढ़िए
अमान्य-फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों की जांच से जूझ रहे शिक्षा विभाग के सामने एक नई और रोचक चुनौती आई है। एसआईटी राडार पर आए दो शिक्षकों को तलाशा जाना है, लेकिन विभाग को यह नहीं पता कि वो तैनात हैं...
अमान्य-फर्जी प्रमाणपत्र वाले शिक्षकों की जांच से जूझ रहे शिक्षा विभाग के सामने एक नई और रोचक चुनौती आई है। एसआईटी राडार पर आए दो शिक्षकों को तलाशा जाना है, लेकिन विभाग को यह नहीं पता कि वो तैनात हैं तो हैं कहां ? एसआईटी ने शिक्षकों के नाम तो भेजे हैं पर तैनाती के बारे में कुछ नहीं बताया है।
इसलिए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने उत्तराखंड के सभी डीईओ-बेसिक को इन शिक्षकों को तलाशने में लगा दिया है। डीईओ-बेसिक ने विकासखंड स्तर पर उपशिक्षाधिकारियों को पत्र लिख दिए हैं। केवल नाम के आधार पर 35 हजार से ज्यादा शिक्षकों में संदिग्धों की तलाश की जा रही है।
अपर निदेशक-बेसिक वीएस रावत ने डीईओ-बेसिक को एसआईटी का पत्र भेजा है। मालूम हो पिछले करीब एक साल से एसआईटी शिक्षा विभाग में अमान्य और जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की जांच कर रही है।
18 नवंबर को एसआईटी प्रभारी ने बेसिक शिक्षा निदेशालय को पत्र भेज कर कहा कि, शिक्षक मनोज पाल सिंह, राघवप्रसाद राय के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। इनके प्रमाणपत्र अमान्य श्रेणी के बताए गए हैं।
लेकिन, इस शिकायत में शिक्षकों की तैनाती का स्थान नहीं होने से तलाशना मुश्किल हो रहा है। इस पर निदेशालय ने जिला और ब्लॉक स्तरीय अफसरों को निर्देश जारी कर दिए। 108 अफसर इस अभियान से जुड़े हैं।
फरमान से अफसर हैरान
निदेशालय के फरमान से जिलास्तरीय अफसर हैरान हैं। एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि एक तरह से गलत परंपरा की शुरुआत हो जाएगी। विभाग को चाहिए था कि एसआईटी से शिक्षकों का पूरा विवरण ले। ऐसे तो भविष्य में यदि कोई गलत शिकायत करेगा तो क्या विभाग उसकी तलाश में जुटा रहेगा।