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छात्रवृत्ति घोटाला: शंखधर ने सीधे कॉलेजों के खाते में डाले 15 करोड़

समाज कल्याण विभाग के अफसरों ने छात्रवृत्ति की राशि छात्रों के खातों में न डालकर सीधे कॉलेजों के खातों में डाल दी। एसआईटी जांच के अनुसार, हरिद्वार के पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर ने...

छात्रवृत्ति घोटाला: शंखधर ने सीधे कॉलेजों के खाते में डाले 15 करोड़
लाइव हिन्दुस्तान टीम, हरिद्वार Mon, 20 May 2019 02:33 PM
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समाज कल्याण विभाग के अफसरों ने छात्रवृत्ति की राशि छात्रों के खातों में न डालकर सीधे कॉलेजों के खातों में डाल दी। एसआईटी जांच के अनुसार, हरिद्वार के पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर ने वर्ष 2014 से पहले करीब 15 करोड़ की छात्रवृत्ति कॉलेजों के खातों में डलवाई। जीओ के तहत ये रकम छात्रों के खाते में डाली जानी थी। एसआईटी पहले ही आरोपी शंखधर को गिरफ्तार कर चुकी है। अब नई बात उजागर हुई है कि शंखधर ने आरोपियों के कॉलेजों को तीन साल में 15 करोड़ की धनराशि बांटी। इसका सत्यापन भी नहीं कराया। 2014 के बाद छात्रवृत्ति की राशि छात्रों के खाते में तो डाली गई, मगर वो खाते संस्थान ऑपरेट करते रहे।

जांच के बिंदु

  • एसआईटी की जांच में सामने आया कि वर्ष 2014-15 से पहले छात्रों (जिनकी छात्रवृत्ति की राशि कॉलेज की ओर से प्राप्त की गई) में से कुछ कथित छात्रों का संबंधित विवि में पंजीकरण ही नहीं कराया गया था।
  • कई ऐसे छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति ली गई, जो अब तक संबंधित कॉलेज में नहीं पहुंचे और न ही पढ़ाई की। 
  • जिन छात्रों के नाम पर बैंक खाते खुलवाए गए, उनमें कई खातों में एक ही मोबाइल नंबर दिखाया गया। इससे यह साफ हो गया कि छात्रों के खातों का संचालन संबंधित संस्थान कर रहे थे।
  • एसआईटी जांच के अनुसार, क्लर्क अंकुर राणा ने आईएमएस कॉलेज के बैंक खाते में छात्रों के खातों से सीधे छात्रवृत्ति की राशि स्थानांतरित करवाई।
  • ऊधमसिंहनगर के एसटी छात्रों के एडमिशन आईएमएस कॉलेज में केवल छात्रवृत्ति की धनराशि हड़पने के लिए कराए गए।

 

आईएमएस कॉलेज 
वर्ष    रुपये 

2012-13    52 लाख 
2013-14    1.51 करोड़ 
2014-15    68 लाख 
2015-16    97 लाख 
2016-17    43 लाख 

रुड़की इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंस
वर्ष    रुपये 
2011-12    40 लाख 
2012-13    1.20 करोड़ 
2013-14    5.11 करोड़
2014-15    4.42 करोड़
2015-16    2.63 करोड़
2016-17    7.15 करोड़


मदरहुड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी भगवानपुर
वर्ष    रुपये 

2011-12    52 लाख 
2012-13    2.39 करोड़ 
2013-14    3.10 करोड़
2014-15    3.24 करोड़
2015-16    68 लाख
2016-17    39 लाख 


महावीर इंस्टीट्यूट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी 
वर्ष    रुपये 

2012-13    93 लाख 
2013-14    1.96 करोड़

कॉलेज की ओर से शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि पढ़ने वाले विद्यार्थियों के सापेक्ष ही ली गई है। पूरी छात्रवृत्ति विद्यार्थियों को ही प्रदान की गई। कुल धनराशि के गबन की बात कहना न्याय संगत नहीं है। जांच के उपरांत ही कुछ कहना उचित होगा। हम जांच में सहयोग कर रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे।
अतुल शर्मा, निदेशक,  मदरहुड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (एमआईएमटी) और आरआईएमएस


 

 

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