गंगा और सहायक नदियों में सीवर या अन्य तरह का कचरा डालने वाले होटल, धर्मशाला और आश्रमों पर अब रोजाना 5000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। एनजीटी के निर्देश के बाद सरकार ने यह आदेश जारी किए हैं।
अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के आसपास बसे होटल, धर्मशाला और आश्रम लगातार नदियों में सीवर, गंदा पानी या अन्य तरह का कचरा डाल रहे हैं। जो इन नदियों के साथ साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहा है। ऐसे में इन होटलों, धर्मशालाओं और आश्रमों पर सख्ती के लिए रोजाना पांच हजार रुपया जुर्माना किया जाए। सिंह ने कहा कि यह जुर्माना पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में वसूला जाएगा। आदेश लागू करने की जिम्मेदारी पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दी गई है।
एसटीपी लगाने से मिल सकती है छूट
गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे होटल, धर्मशाला या आश्रमों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने की अनिवार्यता से छूट मिल सकती है। बुधवार को एनजीटी में इस मामले को लेकर हुई सुनवाई में एनजीटी ने इस तरह के संकेत दिए हैं कि जिन होटलों, धर्मशाला या आश्रमों में सीवर बिछी है, उनको एसटीपी लगाने की अनिवार्यता से छूट दी जा सकती है। राज्य के होटल एसोसिएशन की ओर से इसकी छूट मांगी गई है। उस पर एनजीटी जल्द फैसला करेगा। पीसीबी के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के अनुसार अभी एनजीटी की ओर से आदेश नहीं आए हैं, लेकिन इस तरह की छूट मिल सकती है।
ये हैं आदेश की जद में
185 धर्मशाला
1117 होटल
271 आश्रम
कोट
शासन ने पीसीबी को ऐसे होटलों, धर्मशालाओं और आश्रमों पर जुर्माना लगाने के लिए पीसीबी को नामित किया है, ताकि गंगा और उसकी सहायक नदियों से प्रदूषण कम किया जा सके। लगातार इन पर नजर रखी जा रही है, सीवर या अन्य तरह का कचरा फेंकने वालों पर जुर्माना करेंगे।
एसपी सुबुद्धि, सदस्य सचिव, पीसीबी