उत्तराखंड के खजाने को सरकारी मशीनरी की लापरवाही से 813 करोड़ रुपये की चोट पहुंची
उत्तराखंड बाड़ ही खेत को खा रही है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के खजाने को सरकारी मशीनरी की लापरवाही से 813 करोड़ रुपये की चोट पहुंची है।...
उत्तराखंड बाड़ ही खेत को खा रही है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के खजाने को सरकारी मशीनरी की लापरवाही से 813 करोड़ रुपये की चोट पहुंची है। कैग ने संबंधित मामलों को अनियमितता मानते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं।
संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने गुरुवार को सदन में कैग की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें बीते वित्त वर्ष यानि 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न विभागों में हुई घोर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं।
रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि राज्य में शराब फैक्ट्रियों ने पर्यावरणीय मानकों का घोर उल्लंघन किया। इस मामले में फैक्ट्रियों से 346 करोड़ रुपये की पेनाल्टी वसूली जानी थी पर आबकारी विभाग के अफसरों ने कुछ नहीं किया। इससे राजस्व का भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा वाणिज्यकर, मोटर वाहन, स्टाम्प खनन एवं वन विभागों को कुल 335 करोड़ की राजस्व हानि हुई। इसमें मूल्यवर्धित कर में 44 करोड़, खनन एवं खनिकर्म में 92 करोड़, वन में 36 करोड़, वाहनों पर कर 109 करोड़ और अन्य सभी विभागों में 398 करोड़ की राजस्व हानि शामिल है। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने अतिरिक्त प्रतिभूति एवं प्रारंभिक प्रतिभूति की वसूली नहीं की। इससे पिटकुल को 132 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यूपीसीएल की सतर्कता इकाई द्वारा 14 खंडों में सामान्य उपभोक्ताओं की जांच के दौरान अतिरिक्त सरचार्ज के रूप में 58 करोड़ व प्रारंभिक सरचार्ज के रूप में तकरीबन तीन करोड़ का विलंब भुगतान अधिभार नहीं लेना पाया गया।
वन विकास निगम को 18 लाख का नुकसान
वन विकास निगम ने कर्मचारियों के अनिवार्य 12 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि योगदान की क्षतिपूर्ति अपने बजट से कर दी। 18 लाख की यह राशि कर्मचारियों को वहन करनी थी। लेकिन निगम ने यह राशि अपने बजट से दी दी। कैग ने इस पर आपत्ति जताई है।
69 लाख का घाटा खनन विभाग को
खनन विभाग के अफसरों ने अवैध खनन एवं परिवहन के मामलों में गलत दर से अर्थदंड वसूल लिया जिससे विभाग को भारी राजस्व नुकसान हुआ। अफसरों ने खनन एवं परिवहन के गलत अर्थदंड की वजह से विभाग को 30 लाख का नुकसान पहुंचाया जबकि गलत रायल्टी दर की वजह से 39 लाख का नुकसान पहुंचाया गया।
1420 करोड़ हुआ बिजली बिलों का बकाया
राज्य में विद्युत वसूली का बकाया 1420 करोड़ पहुंच गया है। 2014-15 में यह आंकड़ा 1353 करोड़ था। कैग ने कहा कि वसूली की प्रक्रिया में ढिलाई बरती गई। 43 करोड़ की आरसी काटी गई जिसमें से महज डेढ़ करोड़ की ही वसूली हो पाई। कैग ने विभाग द्वारा मैन्युअल बिलिंग पर भी आपत्ति जताई गई। इसके अलावा मीटर रीडिंग की खामियों को भी उजागर किया गया है।