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चाय बागान में जेसीबी चलने पर किया हंगामा

प्रेमनगर आरकेडिया की 1100 एकड़ भूमि पर फैले चाय बागान क्षेत्र में एकबार फिर जेसीबी मशीनें और ट्रैक्टर चलाए गए। इसका शुक्रवार को श्रमिकों ने जमकर विरोध किया। श्रमिकों ने चाय बागान के अफसरों का घेराव कर...

चाय बागान में जेसीबी चलने पर किया हंगामा
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनSat, 27 Apr 2019 02:23 PM
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प्रेमनगर आरकेडिया की 1100 एकड़ भूमि पर फैले चाय बागान क्षेत्र में एकबार फिर जेसीबी मशीनें और ट्रैक्टर चलाए गए। इसका शुक्रवार को श्रमिकों ने जमकर विरोध किया। श्रमिकों ने चाय बागान के अफसरों का घेराव कर आक्रोश जताया। कंपनी पर नियम विरुद्ध चाय बागान को खुर्दबुर्द करने के साथ ही श्रमिकों को बेघर करने का आरोप लगाया। दून टी कंपनी के श्रमिकों ने पूर्व कर्मचारी श्याम कला देवी व पूर्व प्रधान सीमा देवी के नेतृत्व में अफसरों का शुक्रवार को घेराव किया। कर्मचारियों का आरोप रहा कि तेजी के साथ ही चाय बागान की 100 बीघा से अधिक जमीन में लगे चाय के पौधों पर जेसीबी दौड़ा खेत पूरी तरह समतल किया जा रहा है। कहा कि पहले दून टी कंपनी ने इसी जगह पर गेहूं लगाने के नाम पर जेसीबी दौड़ाई थी। जबकि चाय बागान की जमीन पर किसी भी तरह की कोई दूसरी फसल नहीं लगाई जा सकती। विरोध जताने पर गेहूं की फसल को हटा दिया। अब एकबार फिर बागान में जेसीबी चलने से पूरे क्षेत्र में चाय बागान के खुर्दबुर्द किया जा रहा है।

छोटे लाल ने कहा कि चाय बागान को खत्म कर यहां श्रमिकों को भी बेघर करने की साजिश रची जा रही है। उन्हें नौकरी से निकालने के साथ ही श्रमिकों के घरों को भी उजाड़ने की तैयारी है। इसका पुरजोर विरोध होगा। उन्होंने चाय बागान के संचालन और श्रमिकों को स्थायी बनाने की मांग की। कहा कि श्रमिकों को उनकी जमीनों का मालिकाना हक दिया जाए। क्योंकि इस जमीन पर उनके परिवारों को 100 साल से ज्यादा समय हो चुका है। विरोध जताने वालों में श्रमिक राकेश कुमार, दयाराम, मोहनलाल, जोकूराम, श्यामकला, सीमा देवी, छोटे लाल, विक्रम कुमार, राधेश्याम, विनोद सिंह आदि मौजूद रहे।

 

सख्त है चाय बागान की भूउपयोग परिवर्तन प्रक्रिया
चाय बागान की भूउपयोग परिवर्तन प्रक्रिया के नियम बेहद सख्त हैं। सिर्फ सरकारी कार्यों के लिए ही चाय बागान की जमीन का इस्तेमाल अभी तक हुआ है। पूर्व में आईएमए, एफआरआई, ओएनजीसी, आईआईपी समेत बंजारावाला में टिहरी बांध विस्थापितों को बसाने के लिए चाय बागान की जमीन का इस्तेमाल हुआ। चाय बागान की जमीन से इस तरह का छेड़छाड़ किसी संगीन जुर्म से कम नहीं है। आवास विभाग की भूउपयोग परिवर्तन नियमावली में भी साफ प्रावधान है कि चाय बागान ही ऐसा भूउपयोग है, जिसे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बिना बदला नहीं जा सकता। 

निरंजनपुर चाय बागान की जमीन की जांच के आदेश
देहरादून। जिला प्रशासन ने निरंजनपुर चाय बागान की जमीन की खरीद फरोख्त मामले में मौके पर विवादित जमीन की पैमाइश करने का फैसला किया है। एडीएम रामजी शरण शर्मा ने इस सम्बंध में एसडीएम सदर कमलेश मेहता से मौके का निरीक्षण करने व अपर तहसीलदार सदर से विवादित भूमि की पैमाइश के निर्देश दिए हैं। एडीएम ने बताया कि निरंजनपुर चाय बागान की जमीन के क्रय विक्रय को लेकर निरंजनपुर के पूर्व प्रधान रामसुख ने शिकायती पत्र दिया था। जिसमें उन्होंने कुछ तत्वों पर फर्जी दस्तावेजों से जमीन की खरीद फरोख्त करने के आरोप लगाए हैं। रामसुख का आरोप है कि ये सार्वजनिक उपयोग की जमीन है। लेकिन कूट रचना के आधार पर इस जमीन को हड़पने का खेल चल रहा है। यहां स्थित एक तालाब को पाटकर प्लाटिंग का भी प्रयास किया जा चुका है। एडीएम ने एसडीएम से अभिलेख की जांच एक हफ्ते में करने के निर्देश दिए हैं। 

चाय की खेती को दोबारा खड़ा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 20 हजार पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है। बंजर हो चुकी जमीन को दोबारा उर्वरक बनाया जा रहा है। सॉयल रिहेबिलिटेशन की इस प्रक्रिया के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया को पत्र भेज दिया गया है।  कंपनी जब काम बढ़ा रही है, तो श्रमिकों की छंटनी क्यों करेगी। किसी को नहीं निकाला जा रहा है।
डीके सिंह, निदेशक दून चाय कार्पोरेशन

बोर्ड से कोई मंजूरी कंपनी की ओर से नहीं ली गई है। ये सीधे तौर पर टी बोर्ड ऑफ इंडिया से ली जा सकती है। सिर्फ पत्र भेज कर मौके पर काम नहीं किया जा सकता। बिना मंजूरी के चाय बागान क्षेत्र में कुछ भी नया नहीं किया जा सकता। 
एसके श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक उत्तराखंड चाय बोर्ड
 

 
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