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अब रिलेक्सेशन थैरेपी से होगा मानसिक रोगियों का इलाज

उत्तराखंड में आयुर्वेदिक अस्पतालों एवं आयुष विंगों में मानसिक रोगियों का उपचार रिलेक्सेशन थैरेपी से किया जाएगा।  मर्म चिकित्सा के तहत यह कारगर तकनीक आयुर्वेद विशेषज्ञों ने ईजाद की है। आयुर्वेद...

अब रिलेक्सेशन थैरेपी से होगा मानसिक रोगियों का इलाज
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनMon, 14 Oct 2019 01:07 PM
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उत्तराखंड में आयुर्वेदिक अस्पतालों एवं आयुष विंगों में मानसिक रोगियों का उपचार रिलेक्सेशन थैरेपी से किया जाएगा। 
मर्म चिकित्सा के तहत यह कारगर तकनीक आयुर्वेद विशेषज्ञों ने ईजाद की है। आयुर्वेद विवि के ऋषिकुल परिसर के बाद अब हर्रावाला परिसर में इसकी शुरुआत की जा चुकी है।  आयुर्वेद विवि के कुलपति प्रो. डा. सुनील जोशी ने बताया कि शासन को इस तकनीक का प्रशिक्षण प्रदेश के करीब 600 अस्पतालों और आयुष विंग के आयुर्वेद चिकित्सकों को देने एवं इसे लागू कराने का सुझाव भेजा जा रहा है। मर्म चिकित्सा के विशेषज्ञ डा. नवीन जोशी ने बताया कि उन्होंने एवं डा. पीके गुप्ता और डा. दीपचंद्र पांडेय ने ओपीडी शुरू कर दी है। दिमाग से जुड़ा कोई भी रोग आयुर्वेदिक औषधियों, पंचकर्म नस्य, वमन, सिरोधारा के माध्यम से शोधन कर ठीक हो सकता है। इस थैरेपी में शरीर के कुछ बिंदुओं को दबाकर उपचार किया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह (7 से 13 अक्तूबर ) के तहत लोगों एवं छात्रों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। 

मानसिक रोग के कारण 
उदासी, भ्रमित सोच, एकाग्रता में कमी,अत्यधिक डर या चिंता,अत्यधिक अपराधबोध की भावना, वास्तविकता से दूर होना, शक करना,आत्महत्या की भावना आदि। 

38 प्रतिशत जॉब करने वाले मानसिक रोगी 
एक सर्वे के मुताबिक देश में करीब 3.80 करोड़ लोग किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें 38 प्रतिशत लोग जॉब करने वाले हैं। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि 2020 तक अवसाद विश्व में बीमारियों का दूसरा बड़ा कारण होगा। 

मानसिक रोगों से बचने को नकारात्मक सोच से दूरी जरूरी 
न्यूरो साइकोलॉजिस्ट डा. सोना कौशल गुप्ता बताती हैं कि युवा, बच्चे, महिलाएं एवं कामकाजी लोग मानसिक रोगों की जद में ज्यादा आ रहे हैं। उनकी नकारात्मक सोच, तनाव, अनिंद्रा, अवसाद काम में मन न लगना, नशे की लत, हिंसा एवं आत्महत्या की प्रवृत्ति को सकारात्मक सोच में बदलना पड़ेगा। कोरोनेशन अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डा. निशा सिंघला बताती हैं कि सकारात्मक सोच शरीर में खुशी व कार्य को उत्साह से करने के लिए प्रेरित करती है। 

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