रामपुर तिराहा कांड में 30 साल बाद मिला न्याय, पुलिसवाले भी दोषी
हाईकोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इस मामले में 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों और पीएसी के जवानों पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मार्च 2023 को पुलिसकर्मी एडीजे-7 की कोर्ट में पेश हुआ।
रामपुर तिराहा कांड में पीड़िता को न्याय के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ा। पीड़िता ने तीन दशक तक संघर्ष किया अब शुक्रवार को उसे इंसाफ मिला है। घटना के बाद पीड़ितों की मांग पर सीबीआई को जांच के आदेश दिए गए थे, जांच के बाद सीबीआई ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेजी थी।
रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के बाद हाईकोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इस मामले में 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों और पीएसी के जवानों पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मार्च 2023 को सभी पुलिसकर्मी एडीजे-7 की कोर्ट में पेश हुए जिसके बाद सुनवाई में तेजी आई।
इसके बाद पीड़िता को न्याय की उम्मीद जगी, अब लगभग 30 साल बाद पीड़िता को इंसाफ मिलने से अन्य मामलों में भी जल्द ही इंसाफ की उम्मीद जग गई है।
यूपी और उत्तराखंड में दर्ज हुए थे 54 मामले, 30 में चार्जशीट दाखिल
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा ने बताया कि रामपुर तिराहाकांड कांड में यूपी और उत्तराखंड में दर्ज 54 मुकदमों में लंबी विवेचना के बाद 30 मुकदमे में चार्जशीट दाखिल की गई थी। मुजफ्फरनगर में सात मुकदमे चले, जबकि अन्य मुकदमे उत्तराखंड के देहरादून, नैनीताल, यूपी के मुरादाबाद में चले।
चार मुकदमे मुजफ्फरनगर कोर्ट में विचाराधीन हैं। जबकि सरकार बनाम मोती सिंह मामला मौत के बाद अक्तूबर 2012 व सरकार बनाम राजेन्द्र सिंह के दो मामले की फाइल 6 जनवरी 2024 को बंद कर दी गई है। उनकी भी मौत हो चुकी है।
चमोली के आंदोलनकारी पहले निशाने पर आए थे
देहरादून,मुख्य संवाददाता। अलग राज्य की मांग को लेकर दो अक्तूबर 1994 को दिल्ली कूच के दौरान रामपुर तिराहा में हुई बर्बरता का सबसे ज्यादा शिकार चमोली और रुद्रप्रयाग के आंदोलनकारी हुए थे। क्योंकि, काफिले में सबसे आगे इन्हीं दो जिलों के वाहन चल रहे थे। यहां हुए पुलिसिया दमन की दास्तां आज भी आंदोलनकारियों के जेहन में ताजा होते ही उनकी आंखें भर आती हैं।
दिल्ली में प्रदर्शन के लिए पूरे राज्य से राज्य आंदोलनकारियों ने एक दिन पहले कूच शुरू कर दिया था। सुदूरवर्ती क्षेत्रों चमोली-रुद्रप्रयाग से एक अक्तूबर की सुबह 11 बजे ही आंदोलनकारियों के काफिले ने दिल्ली के लिए कूच कर दिया था। आधी रात वह रामपुर तिराहा पहुंचे थे। दून, ऋषिकेश और हरिद्वार से एक अक्तूबर की रात नौ बजे कूचशुरू हुआ।
ये मुकदमे कोर्ट में चले
सरकार बनाम मिलाप सिंह(छेड़छाड़ व दुष्कर्म मामला)
सरकार बनाम राधामोहन द्विवेदी (छेड़छाड़ व दुष्कर्म मामला)
सरकार बनाम ब्रज किशोर सिंह(फर्जी हथियार बरामदगी)
सरकार बनाम एसपी मिश्रा (शव गंगनहर में बहाया जाना)
सरकार बनाम राजेन्द्र सिंह (जीडी फाड़ना व उसमें छेड़छाड़ करना)
सरकार बनाम राजबीर सिंह (फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाना)
सरकार बनाम मोती सिंह
आंखों में तैरती है रामपुर तिराहे की वह रात उषा
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी उषा नेगी का कहना है कि, लंबे समय बाद आए कोर्ट के फैसले से आंदोलनकारियों को एक उम्मीद नजर आई है। हालांकि असली गुनहगार अभी भी बचे हुए हैं। मुजफ्फरनगर कांड की उस रात उषा नेगी रामपुर तिराहे में ही थीं। वह बताती हैं कि, अलग राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों में बहुत उत्साह था।
देहरादून से निकलते हुए हर कोई जनगीत गा रहा था। एक अक्तूबर की वह रात और दो अक्तूबर की सुबह दमन, बल प्रयोग और अमानवीय हदों को पार करने वाली थी। जिस तरह से फायरिंग, लाठीचार्ज, पथराव किया गया। महिलाओं व बच्चों की भी परवाह नहीं की गई।
एक दरोगा भगोड़ा घोषित किया
सरकार बनाम राधा मोहन द्विवेदी मामले में दरोगा विक्रम सिंह तोमर वर्ष 2005 से फरार है। कोर्ट ने उसका पता लगाने के लिए सीबीआई को आदेश दिया था। सीबीआई ने कई बार उसकी तलाश की, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला सका। उसके बाद कोर्ट ने दरोगा विक्रम सिंह तोमर को भगोड़ा घोषित कर दिया था।
रामपुर तिराहा कांड में पीएसी के दो जवान दोषी करार
रामपुर तिराहा कांड में 30 साल बाद शुक्रवार को कोर्ट ने आंदोलनकारी महिला से दुष्कर्म, छेड़छाड़ व लूटपाट के मुकदमे में पीएसी के दो जवानों को दोषी करार दिया। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि पीड़िता को सरकार से कोई मुआवजा मिला या नहीं।
इस संबंध में सीबीआई को 18 मार्च से पहले रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं। सुनवाई के दौरान पीएसी से रिटायर दोनों आरोपी, कोर्ट में मौजूद रहे, दोष सिद्ध होते ही पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया।
डीजीसी राजीव शर्मा, एडीजीसी प्रविन्द्र सिंह और सीबीआई के लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा ने बताया, चमोली निवासी एक आंदोलनकारी महिला से दुष्कर्म, छेड़छाड़ और लूट के मुकदमे में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर सात के जज की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
सुनवाई एक मार्च को पूरी हुई। शुक्रवार को कोर्ट ने 41 वीं वाहिनी पीएसी के रिटायर जवान मिलाप सिंह निवासी जिला एटा व वीरेन्द्र प्रताप सिंह निवासी जिला सिद्धार्थनगर को दोषी करार दिया।
इन धाराओं में हुई थी रिपोर्ट
एडीजीसी ने बताया कि पीएसी के रिटायर जवानों पर सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आरोपी मिलाप सिंह व वीरेन्द्र प्रताप को आईपीसी की धारा 354, 376 (2जी), 509 व 392 में दोषी माना है।
ये था पीड़िता का आरोप
पीड़िता ने बताया कि एक-दो अक्टूबर 1994 की रात लगभग एक बजे रामपुर तिराहे पर उनकी बस रोक ली गई। आरोपी पीएसी जवानों ने उसके कपड़े फाड़ दिए और सोने की चेन व रुपये लूट लिए। उसके बाद छेड़छाड़ करते हुए बस के भीतर दुष्कर्म किया।
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