प्री-मानसून की आपदाओं से ही सहमे हुए हैं लोग, बारिश-आंधी ने जमकर मचाई तबाही
उत्तराखंड में आपदा की मार कई बार जिलों के लोग झेलते चुके हैं। शनिवार तड़के प्री-मानसून बरसात और आंधी ने राजधानी देहरादून सहित पर्वतीय जिलों में जमकर तबाही मचाई है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर...
उत्तराखंड में आपदा की मार कई बार जिलों के लोग झेलते चुके हैं। शनिवार तड़के प्री-मानसून बरसात और आंधी ने राजधानी देहरादून सहित पर्वतीय जिलों में जमकर तबाही मचाई है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर मलबा आने से प्रदेश के विभिन्न जिलों में सड़कें बंद होने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। देहरादून में कई जगह पेड़ टूटकर कर सड़क पा जा गिरे हैं, जिसकी वजह से यातायाता प्रभावित हुआ है। पेड़ों के बिजली लाइनों पर गिरने से बिजली कटौती के साथ ही पानी की सप्लाई भी बाधित हुई है। पर्वतीय जिलों में यातायात सुचारू करने के लिए नोडल एजेंसी प्रयास कर रही है, लेकिन बार-बार मलबा आने से उनकी परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है।
गढ़वाल: आठ घटनाएं तीन मौत
गढ़वाल मंडल में एक मई से अब तक बादल फटने या अतिवृष्टि से नुकसान की आठ घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इस दौरान प्राकृतिक आपदा की सर्वाधिक पांच घटनाएं टिहरी जिले में हुई हैं। हालांकि राहत की बात यह रही कि इसमें जन हानि नहीं हुई। अलबत्ता एक मकान जरूर इसमें टूटा है। जबकि देहरादून जिले में इस अवधि में प्राकृतिक आपदा की दो घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें तीन लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि चार लोग घायल हुए हैं। इन आपदाओं में सात मकान टूट चुके हैं। बीस मई को चकराता तहसील के क्वासु गांव में बादल फटने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि चार अन्य घायल हो गए। इसके बाद बीते गुरुवार को मालदेवता में आए मलवे में सात परिवार प्रभावित हुए। कई खेत में मलबे के नीचे दब गए हैं। इसी तरह बादल फटने की एक घटना पौड़ी जिले में भी हो चुकी है।
कुमाऊं: अब तक चार की मौत
बागेश्वर जिले में एक मई भूस्खलन की चार घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें दो लोगों की जान गई। तीन मकान क्षतिग्रस्त, चार आंशिक ध्वस्त। अल्मोड़ा जिले में भी अब तक प्राकृतिक आपदा की 28 घटनाएं घटित हो चुकी हैं। हालांकि इसमें जनहानि नहीं हुई,लेकिन 25 मकान जरूर ध्वस्त हो गए। चंपावत जिले जिले बारिश के कारण शारदा नदी में आई बाढ़ में तीन लोग बह गए थे, जिनमें दो लोगों के शव बरामद हो पाए, एक अब भी लापता है। मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं मिला है। इसी तरह पिथौरागढ़ में घाट-लिपुलेख एनएच में भूस्खलन की चार घटनाएं सामने आईं हैं। इसमें अब तक कोई जनहानि नहीं हुई है। चार मकानों में मलबा भर गया। लेकिन आपदा प्रबंधन के पास इसकी रिपोर्ट अब तक नहीं पहुंची है।
आपदा प्रबंधन विभाग प्री मानसून काल में भी पूरी तरह सक्रिय है। मैं खुद जिलों में जाकर तैयारियों को परख रहा हूं, सभी जगह बचाव और राहत की अग्रिम तैयारी रखने को कहा गया है। साथ ही खतरे वाले लोगों को सही स्थान पर स्थानांतरित किया जा रहा है।
डॉ. धन सिंह रावत, (राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार) आपदा प्रबंधन
पछुवादून से जौनसार बावर तक आंधी तूफान की भेंट चढ़ी फसलें
विकासनगर/त्यूणी।
शुक्रवार रात तेज आंधी तूफान ने पछुवादून से जौनसार बावर तक किसानों और बागवानों की फसलों को बर्बाद कर दिया। आम, लीची के साथ सेब, आडू, खुमानी, टमाटर, मटर आदि नगदी फसलें तूफान की भेंट चढ़ गई हैं। पीड़ित किसानों और बागवानों ने शासन प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। शुक्रवार दिनभर साफ बना रहा मौसम देर रात अचानक बदल गया। देखते ही देखते अचानक तेज आंधी तूफान शुरू हो गया। जिसने पछुवादून क्षेत्र में किसानों की खीरा, तोरी, बैंगन, धनिया आदि सब्जियों के साथ आम, लीची और पहाड़ों में टमाटर, मटर, बींस, सेब, आडू, फूलम, खुमानी आदि फसलों को चौपट कर दिया है। कृषक और बागवान अतर सिंह रावत, वीरू गुसाईं, रजनीश, यशपाल, अनिल रावत, प्रताप जोशी, संजय जोशी, लायक राम शर्मा, रमेश चौहान, बालकराम आदि ने बताया कि इस बार मौसम का मिजाज किसानों पर भारी पड़ रहा है।
तेज आंधी तूफान ने फसलों को बर्बाद कर दिया है। पहले बारिश न होने से फसलें सूख रही थी। उसके बाद बहुत अधिक बारिश होने से फसलों को नुकसान हुआ, और अब तेज आंधी तूफान ने रही सही कसर भी पूरी कर दी है। उन्होंने प्रदेश सरकार के साथ तहसील प्रशासन से मदद की गुहार लगाते हुए नुकसान का मुआवजा मांगा है। उधर, संपर्क करने पर एसडीएम चकराता संगीता कनौजिया ने बताया कि राजस्व निरीक्षकों से आंधी तूफान से हुए नुकसान की क्षति की रिर्पोट मांगी गई है।
आंधी-तूफान से उड़ी इंटर कॉलेज की छत
नई टिहरी। प्रतापनगर के गोदड़ी गांव में शुक्रवार रात आये आंधी-तूफान के कारण आदर्श इंटर कॉलेज नरसिंहधार की टीन शेड से बनी छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। ग्राम पंचायत गोदड़ी के उप प्रधान रामलाल नौटियाल ने बताया कि रात होने के कारण किसी को जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन स्कूल में रखा सामान बारिश के कारण खराब हो गया है। बताया आंधी-तूफान के कारण कस्तकारों के पेड़ों पर लगे फल पूरी तरह टूट कर बिखर गये है, साथ कई ग्रामीणों की गौशालाओं की टीन शेड से बनी छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके कारण ग्रामीणों के सामने मवेशियों को रखने की पेरशानी हो गई है। उप प्रधान ने प्रशासन से मौके पर टीम भेजकर मुआइना कराने की मांग की है साथ ही प्रशासन से आदर्श इंटर कॉलेज की छत की मरम्मत की मांग भी की है।
बारिश और अंधड़ से 9 घंटे गुल रही बत्ती, पेड़ गिरने से कई जगह टूटी बिजली की तारें
ऋषिकेश। तड़के झमाझम बारिश और अधंड़ ऊर्जा निगम के लिए आफत बनकर आयी। हरिपुरकलां, श्यामपुर और ऋषिकेश में जगह-जगह पेड़ गिरने से बिजली की तारें टूट गई और खंबों पर लगे इंस्यूलेटर फटने से बत्ती गुल हो गई। निगम कर्मी टूटकर गिरी तारों की मरम्मत कार्य में जुट गए। करीब 9 घंटे की मशक्कत के बाद विद्युत आपूर्ति बहाल हो पायी। घंटो बत्ती गुल होने से कई इलाकों में पेयजल व्यवस्था लड़खड़ाई। शनिवार तड़के करीब 4.30 बजे झमाझम बारिश के साथ अंधड़ से विद्युत आपूर्ति ठप हो गई।
सुबह 9 बजे तक आपूर्ति बहाल नहीं होने पर लोगों ने बिजली दफ्तर का फोन खड़खड़ाया। जवाब मिला कि अंधड़ से कई स्थानो पर गिरे पेड़ों से उनके समानांतर गुजर रही विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त हो गई है। मरम्मत कार्य चल रहा है। बिजली आने में समय लगेगा। घंटो बिजली गुल होने से इलैक्ट्रानिक उपकरण शोपीस बने रहे, जिससे लोगों के घरेलू कार्य प्रभावित हुए। लंबे समय तक बिजली गुल होने से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कई जगह पेयजल व्यवस्था भी चरमराई। दोपहर 1 बजे विद्युत आपूर्ति बहाल हुई।
तड़के अंधड़ से हरिपुरकला, श्यामपुर, आईडीपीएल, गोविंदनगर में पेड़ गिरने से विद्युत लाइनों के टूटने और इंस्यूलेटर फटने से विद्युत आपूर्ति बाधित रही। मरम्मत के बाद दोपहर तक सभी जगह आपूर्ति बहाल कर दी गई।
शक्ति प्रसाद, अधिशासी अभियंता, ऊर्जा निगम