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625 करोड़ के घाटे में ऊर्जा निगम

ऊर्जा निगम की बोर्ड बैठक में सालाना वित्तीय हिसाब-किताब रखा गया जो चौंकाने वाला रहा। इस साल ऊर्जा निगम 625 करोड़ रुपये के घाटे में रहा। पिछले साल 229 करोड़ का घाटा था। हालत इतनी खराब है कि निगम बिजली...

625 करोड़ के घाटे में ऊर्जा निगम
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनThu, 22 Aug 2019 02:50 PM
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ऊर्जा निगम की बोर्ड बैठक में सालाना वित्तीय हिसाब-किताब रखा गया जो चौंकाने वाला रहा। इस साल ऊर्जा निगम 625 करोड़ रुपये के घाटे में रहा। पिछले साल 229 करोड़ का घाटा था। हालत इतनी खराब है कि निगम बिजली खरीद का 1100 करोड़ का भुगतान तक नहीं कर पा रहा है। दूसरी ओर बैंकों का ओवरड्रा भी 800 करोड़ पहुंच गया है। वित्तीय घाटे के लिहाज से हाल के वर्षों में ये सबसे बुरी स्थिति है। सालाना मिलने वाले कुल राजस्व के हिसाब से निगम वर्तमान में बिना बैंकों से ओवरड्रा किए कर्मचारियों को वेतन तक देने की स्थिति में नहीं है। 


इस साल निगम को 6400 करोड़ का राजस्व मिला। इसमें 5500 करोड़ बिजली खरीद में ही खर्च हो गए। फ्री पावर व इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के भुगतान के रूप में सरकार को 850 करोड़ दिए गए। ऐसे में निगम के पास सिर्फ 50 करोड़ रुपये ही बचे। जबकि सालाना वेतन, पेंशन पर करीब 400 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। दूसरी ओर रखरखाव समेत दूसरे कार्यों पर अलग खर्च होता है। ऐसे में वेतन, रखरखाव बैंकों के ओवरड्रा के भरोसे है। दरअसल घाटे की असल वजह महंगी बिजली खरीद है। सही तरीके से बिजली खरीद के शॉर्ट टर्म टेंडर न होने से बिजली महंगी खरीदनी पड़ रही है। साथ ही हरिद्वार, यूएसनगर की फर्नेश इंडस्ट्री में बिजली चोरी से भी निगम को नुकसान हो रहा है। 15 प्रतिशत लाइन लॉस से ही निगम को हर साल 900 करोड़ का नुकसान हो रहा है। 

 

मुनाफे में यूजेवीएनएल-पिटकुल
दूसरी ओर यूजेवीएनएल इस साल 50 करोड़ और पिटकुल 68 करोड़ के मुनाफे में है। यूजेवीएनएल का दावा है कि यदि यूपीसीएल उसके 300 करोड़ रुपये का भुगतान करता तो मुनाफे का आंकड़ा 350 करोड़ रुपये होता।

 

जल विद्युत योजनाओं का उत्पादन घटने से निगम को महंगी बिजली खरीदनी पड़ी। साथ ही नियामक आयोग सालाना बिजली दरों में इजाफा नहीं कर रहा, यूपीसीएल को इस से सीधा नुकसान हो रहा है। साथ ही उपभोक्ताओं को साढ़े 23 घंटे आपूर्ति के लिए अधिक से अधिक बिजली का इंतजाम करना पड़ रहा है। उम्मीद है कि इस बार नियामक आयोग बढ़े हुए खर्चों को टैरिफ में एडजस्ट करेगा।
बीसीके मिश्रा, एमडी, यूपीसीएल
 

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