ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंडदर्द : दो साल बाद भी पूरे नहीं हुए नेताओं के वादे

दर्द : दो साल बाद भी पूरे नहीं हुए नेताओं के वादे

छह लाख का कर्ज न चुका पाने के कारण 12 जुलाई 2017 को बाजपुर के ग्राम बांसखेड़ी में युवा किसान बलविंदर सिंह पुत्र अनूप सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। उस समय नेताओं ने परिजनों से मदद के कई वादे किए पर दो...

दर्द : दो साल बाद भी पूरे नहीं हुए नेताओं के वादे
लाइव हिन्दुस्तान टीम, बाजपुर Tue, 23 Apr 2019 03:01 PM
ऐप पर पढ़ें

छह लाख का कर्ज न चुका पाने के कारण 12 जुलाई 2017 को बाजपुर के ग्राम बांसखेड़ी में युवा किसान बलविंदर सिंह पुत्र अनूप सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। उस समय नेताओं ने परिजनों से मदद के कई वादे किए पर दो साल बाद भी यह वादे पूरे नहीं हुए। बलविंदर के भाई कुलदीप ने बताया कि तत्कालीन एसडीएम पीएस राणा ने मृतक की पत्नी को नौकरी देने व उसका छह लाख का कर्ज माफ करने का वादा किया था। गदरपुर विधायक और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने भी मृतक के परिजनों को छह लाख रुपये देने का वादा किया था। गदरपुर मंडी समिति ने मंडी समिति की एक दुकान बलविंदर के परिजनों को आवंटित करने की बात कही थी लेकिन ये सभी वादे आज भी अधूरे हैं। कुलदीप ने बताया कि बलविंदर की पत्नी को नौकरी दिलाने के लिए उसने तमाम चक्कर काटे लेकिन कुछ नहीं हुआ।

 

विपक्ष भी भूला वादे  
बलविंदर की मौत पर भाजपा सरकार की नाकामी बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत,पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ और स्थानीय कांग्रेसियों ने सरकार पर हमलावर होते हुए मृतक के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए हर प्रयास करने की बात कही थी लेकिन समय के साथ-साथ कांग्रेसी नेता भी किसान के परिजनों को भूल गए हैं। इससे परिजन आहत हैं।

 

रामअवतार के बेटे को नहीं मिली नौकरी 
खटीमा। बैंक के कर्ज तले दबे सत्रहमील के किसान रामअवतार ने नौ लाख रुपये कर्ज के चलते 24 जून 2017 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद सरकार ने भले ही पांच लाख रुपये की सहायता देकर किसान परिवार का बैंकों से लिया कर्ज उतार दिया हो पर सूदखोरों का चार लाख का कर्ज उसके परिवार ने खेती से ही अदा किया। उसके भाई अंतराम का कहना है कि रामअवतार की सात पुत्रियां और एक पुत्र है। किसी तरह गुजरा हो रहा है। अभी लड़कियों की शादी करनी है। सरकार ने भतीजे को नौकरी देने का वादा किया था। अब भतीजा बालिग हो गया है लेकिन नौकरी का वादा अभी पूरा नहीं हुआ है।

 

कर्ज उतारने को बेचनी पड़ी जमीन 
सितारगंज। 18 मई 2018 को बिजटी के किसान मुख्तयार सिंह ने कर्ज न चुका पाने के चलते आत्महत्या कर ली थी। उस पर सात लाख का कर्ज था। बैंक से नोटिस मिला था। मुख्तयार की पत्नी स्वर्ण कौर ने बताया कि सरकार से सहायता नहीं मिली। कर्ज उतारने को उसे एक एकड़ जमीन बेचनी पड़ी। परिवार की जिम्मेदारियां वैसी ही हैं। तीन पुत्रियों की शादी होनी है। बच्चे शिक्षित तो हैं पर किसी के पास रोजगार नहीं है।

 

हाईकोर्ट ने तीन माह में किसानों की परेशानियां दूर करने के निर्देश दिए थे। इसमें किसान आयोग बनाने, खुदकुशी करने वाले किसानों के आश्रितों को मुआवजा और 122 फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का तीन गुना देने को कहा गया था। वहीं केन्द्र सरकार ने केवल 22 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना बढ़ाया है। कोर्ट के सोमवार को दिए निर्देश से सरकार को किसानों के हित में अब फैसला लेना ही होगा।
डॉ.गणेश उपाध्याय, याचिकाकर्ता
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें