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उत्तराखंड में स्टिंग के जरिए अस्थिरता फैलाने की थी साजिश

न्यूज चैनल के नाम पर धंधों के ऊंचे खेल में लिप्त उमेश शर्मा अपने सहयोगियों के जरिए स्टिंग कर उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता फैलाने की फिराक में था। वह सीएम त्रिवेंद्र रावत, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश...

उत्तराखंड में स्टिंग के जरिए अस्थिरता फैलाने की थी साजिश
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनMon, 29 Oct 2018 02:20 PM
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न्यूज चैनल के नाम पर धंधों के ऊंचे खेल में लिप्त उमेश शर्मा अपने सहयोगियों के जरिए स्टिंग कर उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता फैलाने की फिराक में था। वह सीएम त्रिवेंद्र रावत, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश समेत कई अफसरों के स्टिंग के षड़यंत्र में लगा। उसके साथियों ने स्टिंग की कई प्रयास किए, पर इस साजिश से पहले ही पर्दा उठ गया। उमेश पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कथित स्टिंग कर राज्य में अस्थितरता पैदा करने की कोशिश कर चुके हैं।  

साजिश 1 स्टिंग के लिए भेजा था सीएम आवास
पांच मई, 18 को उमेश जय कुमार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का स्टिंग करने कथित स्टिंगबाज राहुल भाटिया व पंडित आयुष गौड़ को सीएम आवास भेजा। उनके पास तीन खुफिया कैमरे भी थे। ये कैमरे वे सीएम का स्टिंग करने ले गए थे। बकौल आयुष गौड़ उसे जब षडयंत्र का पता चला तो घबराहट होने लगी और हाथ कांपने लगे तो कैमरे बाहर ही छोड़ दिए। राहुल भाटिया को इसकी भनक लग गई और उसने उमेश कुमार को सारी जानकारी दे दी। उमेश ने व्हाट्सएप में धमकाने वाले संदेश भेजे और कहा कि यदि स्टिंग सफल नहीं रहा तो तुम्हारा कैरियर खत्म कर दूंगा।

साजिश 2 मुख्यमंत्री के करीबियों से मुलाकात
उत्तराखंड सदन में सीएम को फंसाने की साजिश फेल होने पर ऑपरेशन की जिम्मेदारी राहुल भाटिया को दी। गौड़ ने पुलिस के समक्ष इसका खुलासा किया है। पुलिस को बताया कि राहुल ने उन्हें दून में कई ऐसे लोगों से मिलवाया जो सीएम के करीबी थे। 18 अप्रैल, 2018 को रिकार्डिंग का ऑपरेशन पूरा होने के बाद राहुल भाटिया ने उमेश कुमार को जानकारी दी। भाटिया की एक पूर्व सीएम से काफी नजदीकी भी बताई जा रही है। 

साजिश 3 डॉ.हरक सिंह के बेटे की शादी में ली थी रिकार्डिंग चिप
इस साल 18 अप्रैल को उमेश शर्मा ने फोन कर राहुल भाटिया के साथ आयुष गौड़ और एक अन्य को हरक सिंह के बेटे की शादी में बुलाया। जहां उमेश जे कुमार ने इनसे रिकार्डिंग की चिप (मैमोरी कार्ड) लिया। यह रिकार्डिंग चिप राहुल भाटिया के स्टिंग ऑपरेशन की थी। आरोप है कि राहुल भाटिया ने ही आयुष गौड़ को मुख्यमंत्री के कथित रूप से करीबी लोगों से मिलवाया था। 

साजिश 4 अपर मुख्य सचिव के स्टिंग की थी तैयारी
समाचार चैनल के सीईओ उमेश कुमार और उनके चैनल के कुछ  सहयोगी अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का स्टिंग कर सरकार को बदनाम करने के फिराक में थे। चूंकि ओमप्रकाश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अपर मुख्य सचिव भी हैं। ऐसे में वे उनका स्टिंग कर राजनीतिक भूचाल लाने के फिराक में थे।  इसके लिए उन्होंने अपना सॉफ्ट कॉर्नर एसीएस ओमप्रकाश को भी चुना। इस षड़यंत्र की शुरूआत 12 जनवरी, 2018 से की गई। गौड़ ने पुलिस को बताया कि उमेश कुमार ने फोन और व्हाट्सएप पर बताया कि उसने एक फर्जी और कुछ डमी पार्टियां तैयार कर ली हैं। एसीएस ओमप्रकाश से मिलकर टेंडर के नाम पर रिएलिटी चैक करने का आदेश  दिया और कहा कि उत्तराखंड में कुछ वरिष्ठ अफसर और नेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की पक्की खबर है। एसीएस को जरूर कुछ रुपये पकड़वा लेना और इसका स्टिंग कर देना।

साजिश 5 उत्तराखंड सदन दिल्ली से की थी स्टिंग के प्रयास की शुरुआत
आयुष गौड़ ने पुलिस को दी तहरीर में यह भी कहा है कि 19 जनवरी, 2018 को उमेश कुमार ने उन्हें फोन कर दिल्ली उत्तराखंड सदन में मृत्युंजय मिश्रा से मिलने को कहा था। तब मृत्युंजय मिश्रा अपर स्थानिक पद पर कार्यरत थे। 10 फरवरी 2018 को उत्तराखंड सदन में मृत्युंजय मिश्रा से गौड़ की मुलाकात हुई। मृत्युंजय मिश्रा ने सीएम से मिलाने के लिए 16 फरवरी, 2018 को शाम चार बजे का समय दिया। गौड़ ने कहा कि उमेश कुमार ने मुलाकात के दौरान अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश को पैसे देने का वीडियो बनाने को कहा था। जबकि मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान उनके मुंह से साथ होने की बात कहलवाकर वीडियो बनाने को कहा गया था, लेकिन उत्तराखंड सदन में मुख्यमंत्री तक पहुंचने की साजिश सफल नहीं हो पाई। 

स्टिंग में 10 साल हो सकती है सजा
राजपुर थाने में उमेश जे कुमार, मृत्युंजय मिश्रा समेत अन्य के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 386, 388 और 120बी में मुकदमा दर्ज किया है। अधिवक्ता आलोक घिल्डियाल का कहना है कि अगर इन धाराओं में आरोप सिद्ध होते हैं तो दोषी पर10 साल तक की सजा का प्रावधान है। अधिवक्ता संजीव शर्मा के मुताबिक, आईपीसी की धारा 386 में अवैध वसूली और ब्लैकमेलिंग करने के लिए दबाव बनाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।  अगर इसके साथ मुकदमे में आईपीसी की धारा 388 भी दर्ज है तो इसमें भी दस साल की सजा हो सकती है। जबकि धारा 120बी में आपराधिक षड़यंत्र में शामिल सभी आरोपियों को मुख्य आरोपी के बराबर सजा का प्रावधान है। इस तरह से इस पूरे मामले में इन धाराओं में आरोप सिद्ध होते हैं तो 10 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही इन सभी धाराओं में अलग-अलग जुर्माने का भी प्रावधान है। हालांकि, जिस तरह का यह मामला है, इसमें अभी जांच होनी है और जांच में नए खुलासे होने के साथ बाकी धाराएं भी जुड़ सकती हैं। मसलन अगर किसी से स्टिंग के एवज में वसूली के आरोप पाए जाते हैं तो इसकी धाराएं मुकदमे में अलग से जुड़ेंगी। 

शिकायतकर्ता आयुष को पूरी सुरक्षा देगी पुलिस
 एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि शिकायतकर्ता आयुष गौड़ ने जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा कि देहरादून आने पर आयुष को पुलिस पूरी सुरक्षा देगी। वहीं, उमेश शर्मा को दी गई सुरक्षा पर एसएसपी ने कहा कि राज्य की तरफ से कोई सुरक्षा नहीं दी गई है। जो सुरक्षा पहले दी गई थी, उसे काफी पहले वापस ले लिया गया था। अभी उमेश शर्मा को सीआईएसएफ से सुरक्षा मिली हुई थी। 

उमेश शर्मा पर कई मुकदमे हैं दर्ज
न्यूज चैनल के सीईओ उमेश शर्मा का नाम पुलिस की डायरी में पहली बार नहीं आया है। पहले भी उमेश शर्मा के खिलाफ दून के तीन थानों में गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इन मुकदमों को लेकर शर्मा ने तत्कालीन सरकार को पत्र लिखकर केस वापसी की मांग तक की थी। उमेश शर्मा वरिष्ठ अधिकारियों और सत्ता नेतृत्व से सीधे मिलता था। महत्वकांक्षा के चलते उसकी राजनीतिक धमक जल्द ही सत्ता के साथ अदावत में भी बदल गई। इन अदावतों के चलते एक बार दून के तीन थानों में उसके खिलाफ संगीन धाराओं में 14 केस दर्ज हुए। जबकि उनकी पत्नी के खिलाफ हरिद्वार के लक्सर थाने में जान से मारने की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। यह मुकदमा हरिद्वार के स्थानीय नेता ने कराया था, बाद में मुकदमा कराने वाले नेता ने कोर्ट में हलफनामा देकर केस वापस ले लिया। जबकि बाकी दर्ज मुकदमों की फेहरिस्त भी उमेश शर्मा की पहुंच और सियासी पैंतरों के चलते समय के साथ कम होती चली गई।

गैंगस्टर एक्ट में हुए थे निरुद्ध
वर्ष 2011 में सत्ता के खिलाफ उमेश शर्मा का विवाद तक हुआ। उनके खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमे दर्ज हो गए। पुलिस ने उनकी महंगी लग्जरी कार तक सीज कर थाने में खड़ी कर दी। गिरफ्तारी के डर से शर्मा गायब हुए तो पुलिस ने भगोड़ा घोषित कर अखबारों में इश्तेहार तक छपवा दिए और पांच हजार का इनाम तक घोषित करवा दिया था। यहां तक कि, देहरादून से एक सीओ के नेतृत्व में पुलिस टीम ने तीन दिन तक गाजियाबाद में उमेश शर्मा की गिरफ्तारी को लेकर डेरा भी डाला, मगर दिल्ली तक पहुंच के चलते उस वक्त पुलिस को इस तरह की कामयाबी नहीं मिल पाई थी और टीम को तब बैरंग लौटना पड़ा था। 

कुक से अभद्रता का आरोप 
उमेश कुमार की पत्नी सोनिया शर्मा ने कहा कि सुबह आठ बजे उत्तराखंड पुलिस घर में पहुंची और कुक का गला दबाकर उमेश कुमार के बारे में पूछा। उस वक्त उमेश सो रहे थे। पुलिस ने सर्च वारंट दिखाकर घर का कोना कोना खंगाला और घर पर मौजूद सभी परिजनों को बैठने की हिदायत दी। चेकिंग के बाद पुलिस ने बताया कि उनके पास गिरफ्तारी वारंट भी है और उमेश को अपने साथ ले गई। 

 

 
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