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उत्तराखंड में दो से अधिक बच्चे वाले भी लड़ेंगे ग्राम पंचायत चुनाव

हाईकोर्ट ने प्रदेश में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चे वालों को फिलहाल राहत दे दी है।  कोर्ट ने शैक्षिक योग्यता समेत अन्य किसी मानक में बदलाव...

उत्तराखंड में दो से अधिक बच्चे वाले भी लड़ेंगे ग्राम पंचायत चुनाव
हिन्दुस्तान टीम,नैनीताल। Fri, 20 Sep 2019 03:59 PM
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हाईकोर्ट ने प्रदेश में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चे वालों को फिलहाल राहत दे दी है।  कोर्ट ने शैक्षिक योग्यता समेत अन्य किसी मानक में बदलाव नहीं किया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और आलोक वर्मा की संयुक्त खंडपीठ गुरुवार को मामले में दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने बीती 3 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

25 जुलाई 2019 के बाद दो से अधिक बच्चों वालों पर कानून लागू

ग्राम प्रधान संगठन और कांग्रेस से जुड़़े जोत सिंह बिष्ट, पिंकी देवी, मनोहर लाल आर्य, गौसिया रहमान, मोहन प्रसाद काला, कविंद्र ईष्टवाल, राधा कैलाश भट्ट आदि ने पंचायती राज एक्ट में संशोधित अधिनियम के सेक्शन 8(1) आर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। यह संशोधन ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत के लिए था। इसमें सरकार ने चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की सीमा लागू की थी। अदालत ने दो बच्चों की शर्त में समय सीमा तय कर दी है। फैसले में कहा है कि 25 जुलाई 2019 के बाद दो बच्चे पैदा होने की दशा में यह नियम लागू होगा। 25 जुलाई 2019 से पहले के तीन या अधिक बच्चे वाले दावेदार चुनाव लड़ने के पात्र होंगे।

उप प्रधान चुनाव के खिलाफ दायर याचिका खारिज

संयुक्त पीठ ने 43 पेज के फैसले में सभी बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला है। इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ समेत अन्य दलीलों पर भी तस्वीर साफ की है। कोर्ट ने फैसले में उप प्रधान चुनाव के लिए अधिनियम में धारा 10 सी की वैधता के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। अत: यह प्रावधान लागू रहेगा।

याचिकाकर्ताओं की दलील

याचिका में कहा गया कि कोई भी अधिनियम या प्रावधान उसके लागू होने की तिथि से प्रभावी होता है। मगर सरकार ने बीती 25 जुलाई को इसका नोटीफिकेशन जारी किया है और सितंबर में चुनाव आ गए हैं। कहा गया कि सरकार का यह कदम मुख्य तौर पर संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।

तीनों स्तर पर लागू होना चाहिए

हाईकोर्ट के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर गुरुवार को आये फैसले के बाद क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत में दो बच्चों की शर्त पर दुविधा की स्थिति बनी रही। फैसले को देखते हुए कानूनी जानकार कह रहे हैं कि यह फैसला केवल ग्राम पंचायतों के लिए आया है, वहीं कुछ की राय है कि हाईकोर्ट के आदेश एक जैसे मामले में एक साथ लागू होते हैं, चाहे फैसले में उनका जिक्र न आया हो। याचिकार्ताओं के अधिवक्ता और सरकारी पक्ष इस मामले में खुलकर प्रतिक्रिया देने से कतरा रहे हैं।   

अधिवक्ताओं की राय

हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनाये फैसले में ग्राम पंचायत के लिए हुए संशोधन 8(1) आर के लिए 25 जुलाई 2019 की समय सीमा तय की है। इस फैसले में क्षेत्र पंचायत के लिए 53(1) आर और जिला पंचायत के लिए 90(1) आर का कोई जिक्र नहीं है। -संजय भट्ट, अधिवक्ता, राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड।  

हाईकोर्ट का त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर आया फैसला केवल ग्राम पंचायतों के लिए है। कोर्ट ने इस संशोधन में केवल दो बच्चों की शर्त के लिए समय सीमा तय की है। क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत का मामला इसमें नहीं आया है। -डीके जोशी, अधिवक्ता, नैनीताल हाईकोर्ट।

 

हम हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। सरकार फैसले का अध्ययन कर रही है। विधिक राय भी ले रहे हैं। इस शर्त के पीछे जनसंख्या नियंत्रण का संदेश देने की मंशा थी। त्रिवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री 

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