कोरोना में घर आए लोग फिर करने लगे पलायन, काम के लिए गांव छोड़ पहुंच रहे शहर
कोरोना के समय अपने घर लौटे लागों ने फिर से पलायन करना शुरू कर दिया है। काम के लिए लोग अब गांव को छोड़कर शहर की ओर रुख कर रहे हैं। सौ दिनों का रोजगार न मिलना, कम मजदूरी और पलायन इसके प्रमुख कारण हैंं।

कोरोना के समय अपने घर लौटे लागों ने फिर से पलायन करना शुरू कर दिया है। काम के लिए लोग अब गांव को छोड़कर शहर की ओर रुख कर रहे हैं। 14 हजार से अधिक मजदूरों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में काम छोड़ दिया है। सौ दिनों का रोजगार न मिलना, कम मजदूरी और पलायन इसके प्रमुख कारण रहे हैं।
कोरोना के समय गांव आए लोग भी मनरेगा छोड़कर वापस शहरों की ओर पलायन कर गए हैं। कोरोना काल में प्रवासियों के समक्ष रोजगार की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने पंचायतों में मनरेगा के तहत उन्हें काम उपलब्ध करवाया था। 2019 में जिले में मनरेगा में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या करीब 1 लाख 24 हजार 545 पहुंच गई थी।
लेकिन तीन साल के बाद मजदूरों की संख्या गिरकर एक लाख 10 हजार 323 रह गई है। इसमें से भी 95 हजार 690 मजदूर एक्टिव नहीं हैं। ऐसे में पूरे जिले में मात्र 14 हजार 633 लोग ही सक्रिय मजदूर के रूप में पंजीकृत हैं। विभागीय अधिकारियों ने इसका कारण लोगों का दोबारा महानगरों की ओर पलायन करना माना है।
दरअसल मनरेगा से भी सौ दिन का रोजगार पूरा नहीं मिल पा रहा। इसलिए मजबूरी में लोग शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। जिसका असर मनरेगा सूची में भी नजर आ रहा है। कोरोना काल के बाद नहीं मिला काम भवाली के ग्रामीण मनीष सिंह, अमन कुमार का कहना है कि लोगों को उम्मीद थी कि कोरोना के बाद प्रवासियों को रोकने के बेहतर प्रयास किये जाएंगे।
लेकिन इस दिशा में कोई प्रयास कदम नहीं उठाए गए। अब वह दिल्ली की एक कंपनी में नाइट शिफ्ट कर रहे हैं। फिलहाल हर माह परिवार का पालन करने लायक कमा लेते हैं। पर मनरेगा में तो सौ दिन का रोजगार तक नहीं मिल पा रहा था।
कम मजदूरी भी मनरेगा से मोहभंग की वजह
मनरेगा में काम रहे ग्रामीण दीपू कुमार, विक्रम का कहना है मनरेगा से उन्हें खास लाभ नहीं है। एक तो उन्हें काम नहीं मिलता। ऊपर से मजदूरी भी काफी कम है। इससे परिवार का गुजर बसर करना मुश्किल है। ऐसे में युवा रोजगार के लिए बाहर निकलना बेहतर समझ रहे हैं। यही कारण है कि मनरेगा में श्रमिकों की संख्या लगातार गिर रही है।
मनरेगा के तहत जिलेभर में एक लाख 10 हजार 323 श्रमिक पंजीकृत हैं। इसमें वर्तमान में 14 हजार 633 कार्य कर रहे हैं। 14 हजार 222 निष्क्रिय हो गए हैं। कोरोना काल के दौरान श्रमिकों की संख्या में इजाफा हुआ था पर अब फिर से सक्रिय मजदूरों की संख्या घट गई है। 95 हजार 690 श्रमिक पंजीकृत हैं, पर सक्रिय नहीं हैं।
गोपाल गिरी, डीडीओ नैनीताल
