यह कैसे पैरामेडिकल कॉलेज, फैकल्टी के बिना हो रही कॉलेजों में पढ़ाई
उत्तराखंड के सरकारी पैरामेडिकल कॉलेजों में छात्र जुगाड़ से पढ़ाई कर रहे हैं। कॉलेजों में फैकल्टी और सुविधाएं नहीं हैं, जिससे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ की नौबत आ गई है। सरकार ने पिछले साल...
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उत्तराखंड के सरकारी पैरामेडिकल कॉलेजों में छात्र जुगाड़ से पढ़ाई कर रहे हैं। कॉलेजों में फैकल्टी और सुविधाएं नहीं हैं, जिससे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ की नौबत आ गई है। सरकार ने पिछले साल राज्य के श्रीनगर, हल्द्वानी और देहरादून मेडिकल कॉलेजों में पैरामेडिकल कॉलेज शुरू करने का निर्णय लिया था। इन कॉलेजों में रेडियो टैक्नीशियन, लैब टैक्नीशियन और ओटी टैक्नीशियन की कुल 90- 90 सीटों पर छात्रों को प्रवेश दिए गए।
लेकिन युवाओं को एडमिशन मिलने के बाद भी अभी तक फैकल्टी की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों की ओर से अपनी फैकल्टी से ही जुगाड़ के तहत काम चलाया जा रहा है। साल भर बाद भी फैकल्टी की व्यवस्था न होने से प्रवेश लेने युवा ठगा सा महसूस कर रहे हैं। सरकार ने भी मेडिकल कॉलेजों में पैरामेडिकल कॉलेज खोलकर कोर्स इसलिए शुरू किए थे ताकि सरकारी अस्पतालों के लिए ट्रेंड टैक्नीशियन उपलब्ध हो सकें। लेकिन बिना फैकल्टी और सुविधाओं के तैयार हो रहे टैक्नीशियन आने वाले समय में कितने उपयोगी साबित होंगे इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नर्सिंग की तुलना में चार गुना फीस
सरकार की ओर से साल भर पहले शुरू किए गए पैरामेडिकल कॉलेजों में एक छात्र के लिए 45 हजार के करीब फीस तय की गई है। जबकि राज्य के सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में नर्सिंग करने वाले छात्रों के लिए फैकल्टी, भवन, छात्रावास सहित सभी सुविधाएं होने के बावजूद फीस दस हजार के करीब है। ऐसे में नर्सिंग की तुलना में पैरामेडिकल कोर्स के छात्रों से चार गुना से अधिक फीस वसूली जा रही है।
पैरामेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की तैनाती के प्रयास किये जा रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग को इस संदर्भ में निर्देशित किया गया है। जल्द इन कॉलेजों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
अमित नेगी, सचिव, चिकित्सा शिक्षा