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सदन में पेश पंचायती राज संशोधन विधेयक में तमाम खामियां

अफसरों की घोर लापरवाही की वजह से उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2019 कई कमियों के साथ मंगलवार को विधानसभा के पटल पर रखा गया।  मुख्यमंत्री की घोषणा के उलट प्रस्ताव में दो बच्चों की शर्त...

सदन में पेश पंचायती राज संशोधन विधेयक में तमाम खामियां
लाइव हिन्दुस्तान टीम, देहरादूनWed, 26 Jun 2019 04:36 PM
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अफसरों की घोर लापरवाही की वजह से उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2019 कई कमियों के साथ मंगलवार को विधानसभा के पटल पर रखा गया।  मुख्यमंत्री की घोषणा के उलट प्रस्ताव में दो बच्चों की शर्त लागू करने को तीन सौ दिन का समय दिया गया है। दूसरी तरफ ओबीसी वर्ग की शैक्षिक योग्यता का भी स्पष्ट उल्लेख एक्ट में न होने से प्रस्ताव को लेकर उलझन भी पैदा हो गई है। विभागीय मंत्री अरविंद पांडे से लेकर अफसरों की लंबी फौज इस चूक को नहीं पकड़ पाई। 

चूक एक : तीन सौ दिन का ग्रेस पीरियड 
सबसे बड़ी उलझन दो बच्चों की शर्त में तीन सौ दिन का ग्रेस पीरियड देने को लेकर है। सीएम ने मंगलवार को विधानसभा में मीडिया को बताया कि दो बच्चों की शर्त तत्काल प्रभाव से लागू की जाएगी, इसमें किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाएगी। लेकिन प्रस्ताव के तीसरे पन्ने पर यह स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि दूसरी जीवित संतान का जन्म एक्ट के लागू होने के 300 दिन बाद लागू होगा। विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संशोधन प्रस्ताव में यह छूट दी गई है, अब विधानसभा इसे किस रूप में पारित करती है, यह सदन पर निर्भर करता है। 

चूक दो : ओबीसी शैक्षिक योग्यता 
प्रस्ताव में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता दसवीं तय की गई है। जबकि महिला, एससी- एसटी वर्ग के लिए इसमें छूट दी गई है। विशेष बात यह है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग को भी आरक्षण हासिल है, लेकिन प्रस्ताव में ओबीसी वर्ग की शैक्षिक योग्यता का अलग से उल्लेख नहीं किया गया है। इस तरह ओबीसी वर्ग को सामान्य श्रेणी की ही शर्त पूरी करनी होगी। 

चूक तीन : नगर निकाय का उल्लेख 
एक उलझन प्रस्ताव में पंचायतों और पंचायत प्रतिनिधियों के स्थान पर नगर पंचायत, नगर प्रमुख, नगर पालिका अध्यक्ष, उप नगर प्रमुख, नगर निगम, मेयर जैसे शब्दों के उल्लेख करने को लेकर है। सूत्रों के मुताबिक विभाग ने मूल रूप से शहरी विकास विभाग के एक्ट को इसका आधार बनाया, इस कारण शहरी विकास एक्ट की छाप साफ तौर पर पंचायती राज एक्ट पर नजर आ रही है। 


संशोधन प्रस्ताव में कुछ कमियां रह गई हैं। जिन्हें कल ठीक कर लिया जाएगा। सरकार की मंशा शैक्षिक योग्यता तय कर पंचायतों को मजबूत बनाने का है। इसी तरह परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए दो बच्चों की शर्त जोड़ी जा रही है। कल इस पर और स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। 
अरविंद पांडेय, पंचायती राज मंत्री

 

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