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GPF के लिए 20 साल से अफसरों के चक्कर काट रहे बुजुर्ग

अस्सी साल के बुजुर्ग ज्ञान चंद शर्मा पिछले बीस साल से अपनी जीपीएफ की रकम के लिए अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। उत्तराखंड और यूपी के कई मंत्रियों से भी इस मामले में गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब तक...

GPF के लिए 20 साल से अफसरों के चक्कर काट रहे बुजुर्ग
लाइव हिन्दुस्तान, लक्सर। अनिल त्यागीTue, 08 Oct 2019 04:38 PM
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अस्सी साल के बुजुर्ग ज्ञान चंद शर्मा पिछले बीस साल से अपनी जीपीएफ की रकम के लिए अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। उत्तराखंड और यूपी के कई मंत्रियों से भी इस मामले में गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब तक जीपीएफ में जमा रकम बुजुर्ग को नहीं मिली है। पशुपालन विभाग अब उनके सामने शर्त रख रहा है कि, यदि वह 1993 के बाद की जीपीएफ रकम का दावा छोड़ दें तो पुराना भुगतान कर दिया जाएगा। मेहवड़ कलां निवासी ज्ञानचंद शर्मा पशुपालन विभाग में फार्मासिस्ट थे। वर्ष 1998 में वे रायसी पशु अस्पताल से रिटायर हुए। रिटायर होने के बाद पेंशन मिलने लगी  और ग्रेच्युटी का पैसा भी चुका दिया गया। लेकिन प्राविडेंट फंड (जीपीएफ) में जमा रकम अभी तक उन्हें नहीं मिली है। 

 

यूपी में काटे कई चक्कर : ज्ञान चंद का कहना है कि, जीपीएफ भुगतान को लेकर वह हरिद्वार के पशुपालन अधिकारी, सीडीओ और डीएम से मिले। समस्या हल नहीं होने पर पशुपालन मंत्री, पशुपालन निदेशक, उप निदेशक से भी भुगतान की गुहार लगा चुके हैं। पर भुगतान नहीं हुआ। बुजुर्ग के मुताबिक उत्तर प्रदेश के पशुपालन निदेशक, विभागीय सचिव, मुख्य सचिव, पशुपालन मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री से भी वह मिल चुके हैं। 

 

विभाग ने पैसा काटा पर लेखा-जोखा नहीं
बुजुर्ग ज्ञान चंद ने बताया फरवरी 1990 तक पशुपालन विभाग ने उनके वेतन से काटी रकम जीपीएफ के खाता संख्या एएचयू 3284 में जमा की। इसका पूरा हिसाब भी विभाग के पास है पर इसके बाद विभाग ने उनकी जीपीएफ पासबुक खो दी। उनका कहना है कि जुलाई 1998 तक वेतन से काटी रकम खाता संख्या-एएचयू 5745 में जमा की। लेकिन इस खाते का विभाग के पास कोई लेखा जोखा नहीं मिल रहा है। ज्ञानचंद ने कहा कि, तब यह क्षेत्र सहारनपुर जिले में था। इसलिए वह वहां के डीएम और पशुपालन अधिकारी से भी मिले पर भुगतान नहीं हुआ। 


ज्ञानचंद को भुगतान किया जाना है। भुगतान से पहले उनसे एक शपथपत्र मांगा गया था। अभी तक शपथपत्र न मिलने के कारण भुगतान में देरी हो रही है।   
डॉ. बीसी कर्नाटक, सीवीओ, हरिद्वार

 

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