चमोली एसटीपी हादसे से नहीं लिया सबक! अब किस बात का हो रहा इंतजार
सवाल उठे कि बिजली का काम कैसे सिविल इंजीनियर देख रहे हैं। पड़ताल हुई तो मालूम चला कि अकेले चमोली में ही नहीं, बल्कि जल संस्थान ने पूरे प्रदेश भर में इंजीनियरों की तैनाती में यही गड़बड़ी की थी।
चमोली एसटीपी हादसे को पूरा एक साल हो चुका है, लेकिन एसटीपी हादसे में 16 लोगों की मौत के बाद भी महकमों ने कोई सबक नहीं लिया है। आज भी जल संस्थान में सिविल डिग्री धारक इंजीनियर ही इलेक्ट्रिकल का काम देख रहे हैं। इलेक्ट्रिकल वाले इंजीनियर सिविल के काम की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।
चमोली में 19 जुलाई 2023 को एसटीपी में करंट फैलने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। जल निगम के बनाए इस एसटीपी का संचालन जल संस्थान कर रहा था। जल संस्थान में भी बिजली के इस काम का जिम्मा सिविल डिग्री धारक इंजीनियर कर रहे थे, जिन्हें बिजली के काम का कोई अनुभव नहीं था।
इस पर खासा बवाल हुआ। सवाल उठे कि बिजली का काम कैसे सिविल इंजीनियर देख रहे हैं। पड़ताल हुई तो मालूम चला कि अकेले चमोली में ही नहीं, बल्कि जल संस्थान ने पूरे प्रदेश भर में इंजीनियरों की तैनाती में यही गड़बड़ी की थी।
कलई खुलने के बाद जल संस्थान मैनेजमेंट की ओर से दावा किया गया था कि इस खामी को तत्काल दूर किया जाएगा। सिविल वाले सिविल और इलेक्ट्रिकल वाले सिर्फ इलेक्ट्रिकल का काम देखेंगे। एक साल बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है।
दरअसल जल संस्थान में सिविल और इलेक्ट्रिकल का अलग अलग ढांचा ही नहीं है। भले ही सिविल और इलेक्ट्रिकल के पदों पर भर्ती को अध्याचन अलग भेजा जाता हो, आयोग भी परीक्षा अलग अलग कराता है। जैसे ही इंजीनियर चयन होकर विभाग में आते हैं, उसके बाद उनके काम में कोई भेद नहीं रहता है।
इस बारे में सचिव पेयजल शैलेश बगोली ने बताया कि अभी उनके संज्ञान में ये मामला नहीं है। जल्द इस दिशा में व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी।