बजट सत्र पर दिखा कोरोना इफेक्ट: न ढोल-दमाऊ और रणसिंघे की गूंज, न छोलिया नृत्य के रंग
न मंत्रोच्चार, न ढोल-दमाऊ-रणसिंघे की गूंज, न रंगबिरंगे परिधान में सजकर तलवारें भांजते थिरकते हुए छोलिया नर्तक। कोरोना महामारी ने इस साल बजट सत्र की पूरी आब ही छीन ली। बजट सत्र की शुरुआत बेहद सादगी के...
न मंत्रोच्चार, न ढोल-दमाऊ-रणसिंघे की गूंज, न रंगबिरंगे परिधान में सजकर तलवारें भांजते थिरकते हुए छोलिया नर्तक। कोरोना महामारी ने इस साल बजट सत्र की पूरी आब ही छीन ली। बजट सत्र की शुरुआत बेहद सादगी के साथ हुई। इस बार बजट सत्र को देखकर सभी के जेहन में पिछले सत्रों की रंगीन तस्वीर ताजा हो गई। सरकारी मशीनरी, स्थानीय लोगों के जमावड़े के बीच वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सत्र का आगाज होता था। स्थानीय लोकनृत्यों की प्रस्तुति और पारंपरिक लोकवाद्यों की गूंज पूरे माहौल में एक ऊर्जा सी भर देती थी।
पांरपरिक इंद्रधनुषी पोशाक, हाथों में ढाल-तलवार के साथ काले चश्मे पहनकर गोल घेरे में थिरकते छोलिया नर्तक भी आकर्षण का केंद्र होते थे। स्थानीय लोगों के लिए बजट सत्र किसी उत्सव से कम नहीं होता। स्थानीय लोग खूब जोशोखरोश के साथ कार्यक्रम में शामिल होते थे और दर्शक दीर्घा से सत्र में अपने जनप्रतिनिधियों को देखते भी थे। मंत्री-विधायक और अफसरों के एक साथ उपलब्ध होने से लोगों को अपनी समस्याएं रखने का भी अच्छा मंच मिल जाता था। इस बार जैसे गैरसैंण सत्र की तस्वीर से सारे रंग ही छीज गए। सुबह राष्ट्रीय गान के बाद राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने परेड की सलामी ली।
बेहद सादगी के साथ सभी लोग सदन के भीतर चले गए। सदन के भीतर राष्ट्रीय गान के बाद राज्यपाल ने सीधा अभिभाषण पढ़ना शुरू कर दिया। कांग्रेस के विधायकों ने हालांकि अभिभाषण का विरोध किया लेकिन वो भी बिना आक्रामक अंदाज अपनाए शांति से आपत्ति जताकर बहिष्कार कर चले गए। सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि कोविड 19 की वजह से इस बार सतर्कता और सुरक्षा के लिहाज से कुछ सख्ती बरती गई है। जरा सी भी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। इसके चलते बजट सत्र के आयोजन भी कड़ी सीमाएं तय कर किया जा रहा है।