एनआईओएस से डीएलएड करने वाले युवा भी वर्तमान बेसिक शिक्षक भर्ती में शामिल होने के पात्र हो जाएंगे। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षक परिषद (एनसीटीई) के आदेश के अनुरूप उत्तराखंड सरकार ने एनआईओएस-डीएलएड को बेसिक शिक्षक की शैक्षिक योग्यता के रूप में मान्यता दे दी। हालांकि, बेसिक शिक्षक के लिए मान्य टीईटी-प्रथम, आयुसीमा जैसी शर्तें पूरी करनी अनिवार्य होंगी। शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने इसके आदेश कर दिए। सूत्रों के अनुसार, अब शिक्षा निदेशक के स्तर से सभी जिलों के डीईओ-बेसिक को बेसिक शिक्षक भर्ती के लिए नए सिरे से दिशानिर्देश दिए जाएंगे।
एनआईओएस डीएलएड वालों को भी शिक्षक भर्ती में शामिल होने के लिए अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। सरकार के इस फैसले से एनआईओएस डीएलएड वाले युवाओं में खुशी की लहर है। वर्ष 2018 में केंद्र ने एनसीटीई के मानक पूरे न करने वाले सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के लिए एनआईओएस के जरिए विशेष अभियान चलाया था। प्राइमरी में तैनात बीएड डिग्री वालों को विशिष्ट बीटीसी की तरह छह माह का ब्रिज कोर्स करना था। बाकी के लिए दो साल डीएलएड कोर्स जरूरी था।
18 महीने के इस कोर्स को बिहार हाईकोर्ट के आदेश के बाद एनसीटीई ने भी बेसिक शिक्षक की अर्हता के लिए स्वीकार किया था। ‘हिन्दुस्तान’ ने इसे प्रकाशित किया था। वहीं, एनआईओएस डीएलएड को मान्यता के फैसले का डायट डीएलएड प्रशिक्षित, बीएड टीईटी प्रशिक्षित बेरोजगार कड़ा विरोध कर रहे हैं। बीएड टीईटी प्रशिक्षित बेरोजगार संघ ने शिक्षा मंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया। महामंत्री बलवीर बिष्ट व मीडिया प्रभारी अरविंद राणा बोले, संघ अब हाईकोर्ट जाएगा।
प्रवक्ता और एलटी-कला के लिए बीएड डिग्री की छूट
एमए-ड्राइंग और बीए फाइन आर्ट की डिग्री वालों को बीएड की अनिवार्यता से मुक्ति मिलने जा रही है। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) और सहायक अध्यापक (कला संवर्ग) सेवा नियमावली में संशोधन को हरी झंडी दे दी। इससे प्रवक्ता-कला और सहायक अध्यापक (कला) में बीएड प्रशिक्षण की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी। जल्द ही नियमावली को संशोधित किया जाएगा। 2019 में शिक्षा विभाग ने प्रवक्ता और एलटी-कला शिक्षक के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य कर दी थी।