सीमा विवाद: नेपाल नोमैंस लैंड से एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं, सीमा में बढ़ने लगा तनाव
बुधवार को नेपाली नागरिकों की ओर से चम्पावत जिले के टनकपुर के पास ब्रह्मदेव स्थित नोमैंस लैंड के बड़े हिस्से पर किए गए कब्जे की स्थिति यथावत है। गुरुवार को भूमि विवाद सुलझाने को दोनों देशों के...
बुधवार को नेपाली नागरिकों की ओर से चम्पावत जिले के टनकपुर के पास ब्रह्मदेव स्थित नोमैंस लैंड के बड़े हिस्से पर किए गए कब्जे की स्थिति यथावत है।
गुरुवार को भूमि विवाद सुलझाने को दोनों देशों के अधिकारियों के बीच हुई मौके पर हुई वार्ता को भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया।
नेपाली नागरिक अतिक्रमण हटाने को तैयार नहीं हुए। वह लोग भारतीय अधिकारियों का खुला विरोध करने लगे थे। वह विवादित भू-भाग से एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं हुए।
इधर सूत्रों के मुताबिक नेपाली अधिकारियों ने भी इशारे-इशारे में ये बात कह दी कि ‘विवादित जमीन नेपाली नागरिकों की ही है’।
गुरुवार को ब्रह्मदेव के पास भारत की ओर से एसएसबी के कमांडेंट आरके त्रिपाठी जबकि नेपाल की ओर से एपीएफ के एसपी वीर सिंह साहू के नेतृत्व में टीम अतिक्रमण की गई भूमि का निरीक्षण और मामले का हल निकलाने के लिए पहुंची थी।
नेपाली नागरिकों ने भारतीय अधिकारियों को दो टूक शब्दों में अतिक्रमण नहीं हटाने की बात कह डाली। नेपाली नागरिकों ने अधिकारियों का कड़े शब्दों में विरोध किया।
अतिक्रमणकारियों को अधिकारियों ने बमुश्किल शांत कराया। एसएसबी के अधिकारियों ने नेपाल प्रशासन को समझाया कि नो मैंस लैंड में नागरिकों की ओर से किए गए अतिक्रमण को तत्काल हटाएं, ताकि सीमा पर विवाद की स्थिति पैदा ना हो।
इस पर नेपाल प्रशासन भी यथास्थिति कायम रखने की बात करने लगे। एसएसबी के कमांडेंट ने बताया कि नेपाल के अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने के लिए बोल दिया गया है।
अगर वह नहीं हटाता है तो अग्रिम कार्यवाही की जाएगी। इस मौके पर टनकपुर एसडीएम दयानंद सरस्वती, सीओ वीसी पंत, टनकपुर कोतवाल धीरेंद्र कुमार, इंस्पेक्टर विष्णुनाथ अवस्थी, एसआई सीएस चंद और भारतीय एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट मुरारी लाल, कंपनी कमांडर मग सिंह, एएसआई बुद्धिप्रकाश आदि अधिकारी मौजूद रहे।
नेपाली नागरिकों की ओर से नोमैंस लैंड पर किए गए कब्जे को हटाने के लिए गुरुवार को दोनों देशों के अधिकारियों के बीच मौके पर वार्ता हुई। नेपाल के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वह दो दिन के भीतर अतिक्रमण हटावा लेंगे। फिलहाल अतिक्रमण की स्थिति यथावत बनी हुई है। दोनों देशों के अधिकारी मिलकर मामले का हल जल्द निकाल लेंगे।
एसएन पांडेय, डीएम चम्पावत
नेपाली नागरिक अधिकारियों के सामने ही करते रहे अतिक्रमण
चम्पावत। लिंपियाधुरा, कालापानी, लिपुलेख विवाद को तूल देने के बाद अब नेपाल टनकपुर के ब्रह्मदेव के पास गैरकानूनी ढंग से बेखौफ ढंग से अतिक्रमण कर रहा है।
खासबात ये है कि टनकपुर के ब्रह्मदेव स्थित नोमैंस लैंड में करीब एक दशक बाद विवाद इतना लंबा खिंच रहा है। नेपाल में लगातार भारत विरोधी माहौल बनने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
टनकपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित पिलर संख्या 811 लंबे समय से गायब चल रहा है। इसके चलते उस क्षेत्र में जमीन को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद होते ही रहते हैं।
पूर्व में विवाद इतना आगे नहीं बढ़ा था। हद तो तब हो गई जब नेपाल के नागरिक गुरुवार को आला अधिकारियों के सामने ही अतिक्रमण जारी रखे हुए थे।
तमाम समझाने के बाद भी वह नहीं माने। खासबात ये है कि नेपाल के अधिकारी अपने नागरिकों ने मौके पर अतिक्रमण में जुटे अपने नागरिकों को समझाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।
दबी जुबां वह अधिकारी कह रहे थे कि जहां पर तारबाड़ चल रही है वह नेपाली नागरिकों की अपनी जमीन है। नियमों से बंधे भारतीय अफसर वार्ता के अलावा नेपाली नागरिकों पर किसी भी प्रकार की सख्ती नहीं कर पाए।
बुधवार तक मौके पर करीब सीमेंट और ईट से 15 पिलर बनाए गए थे, गुरुवार को जिनकी तादात बढ़ गई थी। दो दिन के भीतर वह लोग करीब दो सौ मीटर क्षेत्रफल पर कब्जा जमा चुके हैं।
अब सड़क से उस क्षेत्र की दूरी महज 50 मीटर रह गई है। अंदेशा जताया जा रहा है कि वह तारबाड़ करते हुए आगे बढ़कर बैराज के पास तक कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उन्हें अतिक्रमण से रोकने के लिए मुस्तैद हैं।
पूरी तैयारी के साथ पहुंचे थे सुरक्षा कर्मी
बुधवार को नेपाल के सौ से भी अधिक लोगों ने अतिक्रमण के दौरान खूब हुड़दंग काटा था। ताकि विवाद गहराने पर व्यवस्था दुरुस्त हो सकें। इसी को लेकर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लोग गुरुवार को मौके पर सील्ड कवर और अन्य सुरक्षा उपकरणों के साथ पहुंचे थे। आमतौर पर इस प्रकार के सुरक्षा उपकरण दंगा भड़कने और पथराव होने पर प्रयोग किए जाते हैं।
25 मिनट में ही निकल लिए नेपाली अधिकारी
भारत और नेपाल के अधिकारी गुरुवार शाम करीब 4:35 बजे अतिक्रमण स्थल पर पहुंचे थे। उस दौरान उस पार नेपाल के नागरिकों का खूब जमावड़ा लगा हुआ था।
भारतीय अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने को लेकर नागरिकों और नेपाली अधिकारियों से वार्ता की। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि नेपाली अधिकारी महज मौका मुआयने के लिए यहां पहुंचे हों।
वह लोग करीब शाम पांच बजे मौके से चले गए थे। उसके बाद भारतीय अधिकारियों ने एसएसबी कैंप में बैठक कर तमाम मुद्दों पर मंथन किया।
मीडिया को नहीं आने दिया
अतिक्रमण को लेकर अफसरों में कितना दबाव है, इसकी बानगी गुरुवार को एसएसबी कैंप के पास देखने को मिली। भारतीय अधिकारियों ने मीडिया को बैठक स्थल तक पहुंचने भी नहीं दिया। हालांकि नेपाली मीडिया को कवरेज से नहीं रोका गया। इतना ही नहीं इस मामले में भारतीय अधिकारियों ने मौके पर प्रेस को भी ब्रीफ नहीं किया।
फिलहाल नहीं सुलझेगा विवाद
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने को लेकर सर्वे का काम शुरू हुआ था। लॉकडाउन के कारण वह कार्य आगे नहीं बढ़ पाया था। अब अगले साल तक सीमांकन कार्य शुरू होने की उम्मीद कम है। ऐसे हालात में ब्रह्मदेव विवाद पूर्व रूप से सुलझने में काफी इंतजार करना पड़ेगा।
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