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दून: अस्पताल के फर्श पर महिला ने दिया बच्चे को जन्म, दोनों की मौत

दून महिला अस्पताल में मसूरी की एक महिला ने फर्श पर बच्चे को जन्म दे दिया। जच्चा और बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि जच्चा करीब 20 मिनट तक तड़पते रही, लेकिन डाक्टर और अस्पताल स्टॉफ...

दून: अस्पताल के फर्श पर महिला ने दिया बच्चे को जन्म, दोनों की मौत
लाइव हिन्दुस्तान टीम,देहरादून Thu, 20 Sep 2018 11:39 PM
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दून महिला अस्पताल में मसूरी की एक महिला ने फर्श पर बच्चे को जन्म दे दिया। जच्चा और बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि जच्चा करीब 20 मिनट तक तड़पते रही, लेकिन डाक्टर और अस्पताल स्टॉफ ने उसे उपचार नहीं दिया। उन्हें उपचार दिया जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। मृतका को चार दिन अस्पताल में रहने के बाद भी बेड नहीं मिला था। वह बरामदे में ही सो रही थी। परिजनों ने इलाज और फर्श पर डिलीवरी के बाद उपचार न देने का आरोप लगा सीएमएस डा. मीनाक्षी जोशी का घेराव कर हंगामा किया। उन्होंने लापरवाही बरतने वाली डाक्टर और स्टॉफ पर कार्रवाई की मांग की। सीएमएस के जांच के लिए कमेटी गठित करने पर वह शांत हुए। मृतक जच्चा-बच्चा का बिना पीएम कराए ही परिजनों ने यहीं दून में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया।

मूल रूप से उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ निवासी रमेश सिंह काफी दिनों से मसूरी में पत्नी सुचिता (27) और बेटी ऋषिता (9) के साथ रहता है। यहां मजदूरी कर वह अपने परिवार का पालन पोषण करता है। विगत 15 सितंबर को उन्होंने अपनी सात महीने की गर्भवती की पत्नी सुचिता को दून महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। सुचिता के भाई गांव घनशाली, कपूरगांव टिहरी ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने बेड खाली न होने की बात कहकर उसी दिन से बेड नहीं दिया था। वह बाहर ही फर्श पर सो रही थी। डाक्टर और स्टॉफ ने उन्हें दो माह बाद प्रसव होने की बात कही थी। डाक्टरों के खून की कमी बताने पर उसको किसी तरह खून का प्रबंध कर चार यूनिट खून चढ़वाया। आरोप है कि दो यूनिट खून डाक्टरों ने बचा लिया, जो उसे नहीं चढ़ाया गया। गुरुवार अलसुबह करीब चार बजे उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसने बाहर ही बरामदे में फर्श पर बच्ची को जन्म दे दिया। आरोप है कि वह मदद के लिए स्टॉफ से गुहार लगाते रहे, लेकिन उनकी मदद नहीं की गई। बच्चे की मौत हो जाने पर स्टॉफ से जच्चा को बचाने के लिए कोशिश करने की अपील की गई, लेकिन करीब बीस मिनट तक तड़पने और उपचार न मिलने के कारण उसने भी दम तोड़ दिया। 

दून महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी ने बताया कि महिला सात महीने की गर्भवती थी। उसमें खून की भारी कमी थी। उसे खून चढ़ाया जा रहा था। चार यूनिट खून चढ़ने के बाद रिएक्शन होने पर उसको खून चढ़ाना रोका गया था। लेबर रूम में ही उसको रखा गया था। अलसुबह वह खुद ही रूम से बाहर आ गई। गर्भपात होने की वजह से उसकी तबीयत बिगड़ गई। उपचार शुरू करने के कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। लापरवाही बरतने के आरोपों की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। अस्पताल में बेड, स्टॉफ की भारी कमी है। इसको लेकर कई बार प्राचार्य और शासन को चिट्ठी लिखी जा चुकी है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। संसाधन और स्टॉफ की कमी के चलते तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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